चिल्लाते हुए जिद्दी बच्चे को कैसे करें शांत
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चिल्लाते हुए जिद्दी बच्चे को करें शांत (secret tip)

यदि कोई बच्चा किसी बात में जिद करता हो , ज़िद पुरा ना होने पर चिल्लाता हो, या गुस्सा करता हो तब हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, यह जानना हमारे लिए बेहद जरूरी है ताकि हम बच्चे को नियंत्रित रख सके और उसे सही दिशा दे सके।

बच्चों के ऐसे व्यवहार को देखकर आपको भी कई बार गुस्सा आता होगा परंतु गुस्सा करने से पहले ज़िद को समझना बहुत जरूरी है।

ज़िद क्यों करते हैं बच्चे ?

आपका बच्चा जिद्दी क्यों है ?
क्या कारण है ?
उसे जिद्दी किसने बनाया ?

इसका बड़ा ही सरल और आसान जवाब है, की बच्चे को आपने खुद ही जिद्दी बनाए हैं और खुद ही उसका कारण है, क्योंकि बच्चा ज़िद तभी करता है जब उसे यह पता हो कि जिद करके मैं जो चाहूंगा वह मुझे मिल जाएगी |

इसलिए आपको यह ध्यान देना बहुत जरूरी है कि बच्चों का कोई भी बात मानने से पहले उसे सही गलत का ज्ञान कराना आवश्यक है ताकि वह कभी मांग के लिए जिद करने का रास्ता ना चुने |

वैसे तो ज़िद अनेक प्रकार के होते हैं जिसे शब्दों में परिभाषित करना काफी मुश्किल है लेकिन फिर भी कुछ विशेष प्रकार के ज़िद जो बच्चे अक्सर करते देखा जाता है-

  • बाजार जाने पर सामान खरीदने का ज़िद
  • मैगी, चाऊमीन या जंक फूड खाने को लेकर जिद
  • पढ़ाई नहीं करने का ज़िद
  • स्कूल नहीं जाने का ज़िद
  • खेलने को लेकर ज़िद

बाजार जाने पर सामान खरीदने का ज़िद

बच्चे अक्सर अपने मां-बाप के साथ बाजार जाते हैं चाहे उनका कोई काम हो या नहीं, मां-बाप उन्हें घर में अकेले नहीं छोड़ना चाहते, जिस कारण बच्चे बगैर किसी काम के भी बाजार चले जाते हैं और बाजार की आकर्षक वस्तुओं को देख कर उसे हासिल करने की जिज्ञासा उत्पन्न कर लेते हैं और यह जिज्ञासा धीरे-धीरे बढ़ने लगता है तथा मजबूत हो जाता है और फिर उसे हासिल करने के लिए ज़िद शुरू कर देता है ।

ऐसे में हम क्या करें ?

हर मां – बाप के साथ ऐसी परिस्थिति आती है जब उन्हें ऐसा लगने लगता है कि हमारे बच्चे जिद्दी हो गए हैं, पर उसका कारण समझ नहीं पाते हैं। ऐसी स्थिति में ध्यान देने की जरूरत है कि हम जब बाजार जाएं और साथ में अपने बच्चों को ले जाएं तो उन्हें पहले से ही यह जरूर बताएं :-

कब जा रहे हैं:-आज  हम शाम को  बाजार जा रहे हैं 

क्यों जा रहे हैं:- आज हम बाजार सब्जी या राशन खरीदने जा रहे हैं

कौनकौन जा रहे हैं :-आज मैं और  तुम्हारी मां जा रहे हैं

एक सवाल:- क्या तुम भी हमारे साथ जाना चाहोगे

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स्नेह समर्पण:- चलो तुम घर में अकेले बोर हो जाओगे साथ हो आओ

पहले ही उनको पूछ लेना:- तुम्हें भी कुछ खरीदना हो तो बताओ

निश्चित रूप से ऊपर दिए बातों को हम अक्सर नजरअंदाज करते हैं परंतु ऐसी छोटी-छोटी बातें बच्चों के दिमाग में बड़ा असर डालती है, यदि बच्चे के मन में हम पहले से ही यह डाल दें कि मार्केट में किस कार्य के लिए जा रहे हैं क्या क्या खरीदना है, क्या नहीं खरीदना है जिससे बच्चों को अपने जिम्मेवारी का एहसास होने लगता है जिस कारण बच्चों में जिद करने की प्रवृत्ति लगभग समाप्त हो जाती है|

मैगी, चाऊमीन या जंक फूड खाने को लेकर जिद

a girl arguing with mom over food
a girl arguing with mom over food

बच्चों का दिनचर्या काफी हलचल भरा होता है दिन भर का खेल – कूद, रहन-सहन काफी अस्त – व्यस्त रहता है, स्वभाविक है कि ऐसी स्थिति में बच्चों को जल्दी-जल्दी भूख लगता है, वह अपने इच्छा अनुसार और स्वादानुसार मैगी चौमिन या जंक फूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं भले ही सेहत के लिए यह अच्छा हो या नहीं | आप यदि पौष्टिक खाने की एक थाली सजा कर अपने बच्चों को खिलाना चाहे तो बच्चे हजार बहाने करते हैं, परंतु यदि कोई जंक फूड दे तो इसे पूरी इच्छा के साथ खाने के लिए लालायित हो जाते हैं |

ऐसे में हम क्या करें ?

यदि बच्चे मैगी, चाऊमीन या जंक फूड खाने का ज़िद करें तो सबसे पहले उसे मैगी, चाऊमीन या जंक फूड खाने से स्वास्थ्य पर होने वाले लाभ – हानि के बारे में समझाएं और बताएं,तथा उसे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें |

बच्चे को चॉकलेट से लेकर मैगी, चाऊमीन, जंक फूड तक को हम शुरू से ही नजरअंदाज करते हैं इसके अच्छे और बुरे प्रभाव के बारे में बच्चों को नहीं बताते हैं, जिस कारण बच्चे इसे खाने की आदत बना लेते हैं और बाद में जाकर यह आदत छुड़ाना काफी मुश्किल हो जाता है|

इस आदत को छुड़ाने के लिए हम एक रास्ता अपना सकते हैं जैसे एक खिलाड़ी पूरे सप्ताह ट्रेनिंग करता है और पूरी पोस्टिक आहार लेता है, लेकिन अपने स्वाद और रुचि के लिए सप्ताह में कोई एक दिन चुनकर वह कोई भी व्यंजन खाने की छूट रखता है जिसे चीट डे कहते हैं, उसी तरह बच्चों को भी पहले से ही अनुशासित करें कि सप्ताह में एक दिन मैगी, चाऊमीन या जंक फूड खा सकें लेकिन बाकी दिन उन्हें पौष्टिक भोजन ही करना होगा |

ऐसा करने से बच्चों में सप्ताह में उस एक दिन का इंतजार रहेगा और बाकी दिन अनुशासित होकर पौष्टिक भोजन करेगा|

पढ़ाई नहीं करने का ज़िद

हर बच्चा पढ़ने से कतराता है, दूर भागता है, पढ़ने में कभी ध्यान नहीं लगाना चाहता है, पढ़ने के लिए बोलने पर वह ना पढ़ने की जिद पर अड़ जाता है, इसके अनेक कारण हो सकते हैं जैसे-

  • पढ़ाई करते वक्त विषय समझ में नहीं आने से उसे अतिरिक्त मानसिक दबाव महसूस हो रहा हो|
  • पढ़ाई का माहौल सही नहीं हो |
  • पढ़ाई से ज्यादा मनोरंजन में रुचि हो |
  • मानसिक चंचलता के कारण एकाग्रता में कमी हो |
  • होमवर्क नहीं किया हो |
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ऐसे में हम क्या करें ?

सबसे पहले बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय दें और बातों ही बातों में शैक्षणिक गतिविधियों में उनकी रूचि बढ़ाएं |
बच्चों को शुरू से ही अनुशासन सिखाएं और निर्धारित समय और निर्धारित अवधि तक पढ़ने के लिए प्रेरित करें |
बच्चों को खेल – खेल में पढ़ने की प्रवृत्ति बनाएं |
बच्चों के पढ़ने के समय घर के अन्य सदस्य भी पढ़ने से संबंधित ही कार्य करें कोई मनोरंजन जैसे टीवी देखना गाना सुनना बिल्कुल ना करें |

स्कूल नहीं जाने का ज़िद

A yelling kid
A yelling kid

बच्चे जब शुरुआती दिनों में स्कूल जाना शुरू करते हैं तो उनका स्कूल में बिताए हुए एक घंटा भी काफी मुश्किल होता है यही कारण है की बच्चे स्कूल नहीं जाना चाहते लेकिन फिर भी कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो स्कूल ना जाने के लिए काफी जिद करते है, किसी भी कीमत पर स्कूल जाने के लिए तैयार नहीं होते, उस वक्त ना वह बच्चा समझ पाता है कि क्यों मुझे जबरदस्ती स्कूल क्यों भेजा जा रहा है, और ना हीं आप यह समझ पाते हैं कि बच्चा स्कूल नहीं जाने के लिए क्यों जिद कर रहा है |

इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं जिसे जानना बेहद जरूरी है, जैसे-

  • स्कूल के परिवेश से डर लगता हो |
  • स्कूल के किसी टीचर से डर लगता हो |
  • कोई दूसरा बच्चा उसे डरा रहा हो |
  • स्कूल के अनुशासन में नहीं रहना चाहता हो |
  • अपनों के प्रति इमोशनल लगाव अधिक हो |
  • होमवर्क नहीं किया हो |
  • पढ़ाई को समझ नहीं पा रहा हो |

ऐसे में हम क्या करें ?

सबसे पहले बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं और बातों ही बातों में शैक्षणिक गतिविधियों में उनकी रूचि बढ़ाएं |
बच्चों को खेल खेल में पढ़ने की प्रवृत्ति बनाएं |
अपने बच्चों के साथ स्कूल में हुए गतिविधियों के बारे में चर्चा करें और जानने की कोशिश करें कि स्कूल में कौन-कौन सी बातें उसे अच्छा लगा और कौन-कौन सी बातें अच्छा नहीं लगा, ताकि आप अवलोकन कर सके की किन बातों पर उसे प्रेरित और प्रोत्साहित किया जा सकता है |
समय-समय पर स्कूल जाकर उनके दोस्तों और शिक्षकों से अपने बच्चे के बारे में राय लें और जानने की कोशिश करें की उसमें कौन-कौन सी प्रतिभा है | प्रतिभा के अनुसार प्रोत्साहित करें |
घर का अनुशासन और माहौल तथा स्कूल का अनुशासन और माहौल माहौल को एक जैसा बनाने की कोशिश करें ताकि बच्चे का मानसिक दबाव का संतुलन बना रहे |
बच्चों को अनुशासन के साथ, निर्धारित समय और निर्धारित अवधि तक पढ़ने के लिए प्रेरित करें |

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खेलने को लेकर ज़िद

बच्चे अपना अधिकतर समय खेलकूद करते हुए ही बिताना पसंद करते हैं चाहे वह आउटडोर खेल हो या इनडोर खेल अधिकतर वक्त में मनोरंजन का साधन उन्हें खेलकूद ही लगता है इसलिए जब उन्हें खेलने के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता है तो बच्चे खेलने की ज़िद करने लगते हैं खेलने के लिए जिद करने का बहुत सारे कारण हो सकता है जैसे-

खेलने के लिए पर्याप्त समय नहीं रहना– बच्चे अपनी दिनचर्या में अनेक कार्य करते हैं जिस कारण खेलने का पर्याप्त समय का अभाव हो जाता है जो खेलने के लिए जिद का रूप ले लेता है|

दोस्तों का परिवेश– बच्चों के खेलने की प्रवृत्ति उनके दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है उनके दोस्त क्या खेलते हैं कब खेलते हैं |कितना खेलते हैं इन सब चीजों पर उनका दिमाग केंद्रित रहता है और दोस्त की तरह नहीं कर पाने पर खेलने के लिए जिद करता है |

पढ़ाई से बचने के लिए– बच्चे पढ़ना नहीं चाहते इसलिए उससे बचने के लिए खेलने का जिद करते हैं|

खेल के प्रति जुनून– अधिकतर बच्चे खेलकूद के प्रति एक अतिरिक्त जुनून रखते हैं खेल की एक विशेष अवस्था में एक विशेष रोमांच महसूस होता है बार-बार इसे प्राप्त करने के लिए भी बच्चे जिद करते हैं अधिकतर बच्चे इसी कारण से खेलने की जिद करते हैं |

ऐसे में क्या करें ?

बच्चा यदि खेलने की जिद करता हो तो सबसे पहले आप बच्चे को खेलने के लिए प्रेरित करते हुए बाकी सभी कार्यों में उसे समाहित करें ताकि बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास एक साथ सही तरीके से चल सके | बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय तक साथ में खेलें और उसे एहसास कराएं की तुम्हारे मनोरंजन के साथ भी मैं हूं | तभी वह आपके अनुशासन का भी पालन करेगा |

निष्कर्ष

बच्चों के जिद करने का यह प्रवृत्ति अचानक एक दिन में नहीं आता उसका यह प्रवृत्ति के जिम्मेवार आप खुद हैं, उसे पहचानना भी आपका ही काम है |

कैसे बच्चे जिद्दी बनते हैं, कैसे बचे जिद करना सीखते हैं, कैसे बचे जिद कर अपनी बात मनवाते हैं, इसे भी पहचाना आपका ही काम है|

शुरू से ही हर छोटी-छोटी बातों में ध्यान रखते हुए तत्पर रहें कि बच्चों को एक नियमित अनुशासन और असीमित स्नेह का संतुलन बनाए रखें ताकि आपका बच्चा जिद्दी ना बने और आप जिद का शिकार ना बने |

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