अच्छा पैरंट्स बनने के लिए क्या करें
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बड़ी बातें, जो आपको एक अच्छा पैरंट्स बनने के लिए करे प्रेरित

अभिभावक का दायित्व, निभाना नहीं आसान |
अच्छा परवरिश देना, कठिन परिश्रम की पहचान |

आपका कौन सा गुण, आपको एक अच्छा अभिभावक बनाता है ?

एक अच्छे अभिभावक में एक विशेष गुण होता है वह अपने बच्चों से कोई अपेक्षा नहीं रखता और उसके सर्वोत्तम हित के लिए हमेशा प्रेरित करता है | अक्सर अभिभावक गण अपने बच्चों से अपेक्षाएं रखते हैं की हमारा बच्चा ऐसा बने… ऐसा करें… इत्यादि|

इसलिए आप अपनी अपेक्षाओं के प्रति काफी ज्यादा गंभीर रहते हैं और इसका परिणाम यह होता है कि बच्चे का वास्तविक लक्ष्य हासिल नहीं होता | आप चाहते हैं कि हमारा बच्चा परिपूर्ण हो जाए परंतु क्या आप अभिभावक के रूप में परिपूर्ण है ? नहीं | उसी तरह बच्चा भी आपके अपेक्षाओं के प्रति परिपूर्ण नहीं हो सकता |

एक सफल अभिभावक बनने के लिए कुछ मानक निर्धारित करें और ऐसी कार्यप्रणाली बनाएं जिससे आपका बच्चा आप का अनुसरण करें |


यहां अच्छे पेरेंटिंग स्किल सीखने की 10 बड़ी बातें बताने जा रहे हैं जो दुनिया के सभी पेरेंट्स को अच्छा बनने के लिए उत्साहित करती है |

  1. अनुकरणीय (Role Model) बने
  2. बच्चों को भरपूर स्नेह दे
  3. बच्चों से भावनात्मक लगाव बनाएं
  4. बच्चों के प्रति संवेदनशील बने
  5. बच्चों के साथ समन्वय स्थापित करें
  6. बच्चों के साथ अपने बचपन का अनुभव बांटे
  7. बच्चों के लिए अपनी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्यता बनाए रखें
  8. बच्चों के साथ मारपीट कभी ना करें
  9. बच्चों के साथ अधिक समय बताएं
  10. वैज्ञानिक तरीकों को भी अपना सकते हैं

1. अनुकरणीय (Role Model) बने

happy child parent
happy child parent

इस संसार में मनुष्य सबसे प्रबुद्ध प्रजाति मानी जाती है| मनुष्य में एक विशेष गुण होता है सीखने का गुण जो बचपन से ही शुरू हो जाती है, बच्चे शुरू से ही अपने माता पिता के द्वारा किए जाने वाले सभी कार्यों पर विशेष ध्यान देते हैं और स्वयं उस कार्य को करने की कोशिश करते हैं |

हर माता पिता अपने बच्चों के लिए अनुकरणीय होते हैं इसलिए जरूरी है कि आप अपने बच्चों के प्रति सकारात्मक व्यवहार और रवैया प्रस्तुत करें बच्चों के भावनाओं के साथ सहानुभूति और स्नेह रखें जिससे आपका बच्चा काफी सहजता से उस व्यवहार का पालन करेगा और उसे सही व्यवहार का ज्ञान हो जाएगा |

2.बच्चों को भरपूर स्नेह दे

अपने बच्चे को प्यार करना, गले लगाना, उसके साथ समय बिताना, उसकी बातों को गंभीरता पूर्वक सुनना, बच्चों की सेहत के लिए बहुत ही अच्छा होता है ऐसा करने से बच्चों में ऑक्सीटॉसिन जैसे फील गुड हार्मोन की वृद्धि होती है इससे बच्चों में भावनात्मक शांति और संतोष की भावना दृढ़ होती है|

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हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में रीढ का सीधा संबंध मस्तिष्क से होता है इसलिए बच्चों के सर पर हाथ फिराना या पीठ सहलाना अति लाभकारी होता है, जिससे मस्तिष्क में सकारात्मकता उत्पन्न होती है | इन सब बातों पर अमल करने से मां बाप और बच्चे के बीच काफी घनिष्ठ संबंध कायम होते हैं |

3. बच्चों से भावनात्मक लगाव बनाएं

इस संसार में मनुष्य सबसे प्रबुद्ध प्रजाति मानी जाती है, क्योंकि मनुष्य में सबसे विकसित बुद्धिमता होती है | शिशुओं के जन्म से ही लगभग 100 अरब मस्तिष्क कोशिकाएं आपस में जुड़ी रहती हैं जिसे हम न्यूरॉन्स कोशिका के नाम से जानते हैं| मनुष्य के बुद्धिमता की आधारशिला इन्हीं कोशिकाओं से शुरू होती है जो हमारे व्यक्तित्व को आकार देता है और मूल रूप से यह निर्धारित करता है हमारे शरीर की सभी इंद्रियों का संचालन संतुलित रूप से हो सके|

इन सभी बातों से स्पष्ट होता है कि बच्चों का मानसिक विकास भावनात्मक लगाव से प्रभावित होती है|

इसलिए-

  • हम अपने बच्चों को सकारात्मक अनुभव दे सकते हैं
  • उसके साथ खुशियों के पल में हर्ष का अनुभव करा सकते हैं
  • नैतिकता सिखा सकते हैं
  • कौन सी बात सही है और कौन सी बात गलत है यह बोध करा सकते हैं
  • एक सीमा तय करते हुए अनुशासन और सुसंगत का संतुलन बना सकते है

बच्चों को किसी गलती पर कोई दंड देने से अच्छा उस गलती का कारण ढूंढना ज्यादा अच्छा होता है जिससे बच्चे नैतिकता के साथ आपसी संबंध मजबूत करता है |

4. बच्चों के प्रति संवेदनशील बने

हम अपने बच्चों को शुरू से ही ऐसा संवेदनशीलता का परिचय दें की उन्हें यह एहसास हो की हर आवश्यकताओं के प्रति और समर्थन के प्रति हम उनके साथ हैं| ऐसा करने से बच्चे हर बात और हर दुख दर्द हमारे साथ बांटने में कभी कोई संकोच नहीं करेंगे |

child playing with mom
child playing with mom

बच्चों के हर क्रियाकलाप पर हम संवेदनशील रहे उनके हर अच्छे कामों पर उन्हें प्रोत्साहित करें जिससे उनके बेहतर भावनात्मक विनिमय का विकास तथा सामाजिक कौशल का विकास हो सके|

5. बच्चों के साथ समन्वय स्थापित करें

बच्चों के साथ बातचीत करने का एक खुली रेखा रखें, जिससे आपके बच्चे को कोई समस्या हो तो वह बेहिचक आपके पास आकर बोल सके | जिस प्रकार हमारा शरीर विभिन्न अंगों के समन्वय और संतुलन से संचालित होती है उसी प्रकार बच्चों का व्यवहार भी अनेक प्रकार की परिस्थितियों के समन्वय से बनती है,

यदि परिस्थितियां अनुकूल हो तो बच्चे आप से बात करे, आपसे राय ले, और आपसे अपना अनुभव बांटे तथा यदि परिस्थितियां प्रतिकूल हो तो भी बच्चे आपसे बात करे, आपका मदद ले, आप को समाधान करने के लिए कहे तभी आप एक अच्छे और सफल माता-पिता होते हैं |

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6.बच्चों के साथ अपने बचपन का अनुभव बांटे

इस संसार के सभी माता पिता अपने बचपन के कई कड़वे और मीठे अनुभव को अपने यादों मे संजोए रखते है तथा जब अपने बच्चे की परवरिश करते हैं तो उस कड़वे और मीठे अनुभव को अपने बच्चों के साथ कभी नहीं बांटना चाहते हैं वह अपने तरीके से ही अपना परवरिश जारी रखते हैं लेकिन यदि अपने बचपन के वह कड़वे और मीठे अनुभव अपने बच्चों के साथ बांटते हैं तो आपके बच्चों को इसमें एक प्रतिबिंब दिखता है,

जिसको वह अपने वास्तविक जीवन में लागू करना चाहते हैं और यदि कोई कड़वा अनुभव हो तो उसके लिए भी वह मानसिक रूप से दृढ़ और संकल्पित हो जाते है की जब मेरे माता पिता ने यह कड़वा अनुभव अपने समय बिताया है तो मैं भी इसके लिए तैयार रहूंगा | ऐसा करने से बच्चों पर एक सकारात्मक और व्यवहारिक ऊर्जा का संचार होता है जो एक सफल परवरिश के लिए बहुत ही जरूरी होता है |

7.बच्चों के लिए अपनी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्यता बनाए रखें

Kid playing with mom and dad
Kid playing with mom and dad

जब माता-पिता अपने बच्चों का परवरिश करते हैं तो अक्सर उन्हें अपना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्यता बनाए रखना काफी कठिन हो जाता है |

जिसके कारण इसका सीधा प्रतिकूल असर बच्चों पर पड़ता है और बच्चा भी आपके साथ पीड़ित हो जाता है इसलिए हर पति – पत्नी को आपसी संबंध मजबूत करने के लिए समय निकालना चाहिए |

बच्चों के पालन-पोषण के विषय में एक दूसरे की राय या मदद मांगने से संकोच ना करें और अपने स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें तभी अपने बच्चों को सफलतापूर्वक परवरिश कर सकते हैं|

8. बच्चों के साथ मारपीट कभी ना करें

अक्सर हर मां बाप बच्चे की किसी गलती पर उसके साथ मारपीट करते हुए अपने बच्चे को डराना चाहता है ताकि वह उस डर की वजह से गलती दोबारा ना करें परंतु यह धारना बिल्कुल उल्टा पड़ जाता है क्योंकि ऐसे बच्चों के साथ हमेशा बाद में भी शारीरिक आक्रमकता का उपयोग करने की संभावना बढ़ जाती है

और वह बच्चा किसी भी विवाद को सुलझाने का तरीका मौखिक या शारीरिक आक्रामकता का उपयोग करते हुए सीखने लगता हैं और बाद के अपने जीवन काल में लापरवाही असामाजिक व्यवहार, माता पिता के साथ खराब रिश्ते, घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार जैसे परिणाम की संभावना प्रबल हो जाती है|

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इसलिए यह हर माता-पिता का दायित्व है कि अपने बच्चों के साथ मारपीट कभी ना करें जिससे बच्चों की मानसिक स्थिति असंतुलित हो और वह इस प्रकार की स्थिति का सामना करें जो उसे हिंसक प्रवृत्ति का बनने के लिए प्रेरित करें|

9. बच्चों के साथ अधिक समय बताएं

Happy Family
Happy Family

अधिकांश माता-पिता चाहते हैं कि मेरा बच्चा स्कूल में सबसे अच्छा हो, सबसे जिम्मेवार हो, स्वतंत्र हो, सभी इसे सम्मान, दें दूसरों के साथ अच्छा संबंध हो, दूसरों के प्रति दयालु हो, खुशहाल हो, और स्वस्थ तथा संपन्न जीवन जिए परंतु हर माता-पिता उक्त आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने बच्चों के साथ कितना समय बिताते हैं?

जवाब होगा बहुत ही कम समय हम अपने बच्चों को देते हैं और बहुत ही ज्यादा अपेक्षा रखते हैं इसलिए अत्यधिक आकांक्षाओं को अपने जीवन पर हावी ना होने दें और अपने बच्चों के असफलता या नकारात्मकता पर जब आपको अधिक क्रोध या निराशा आती हो तो उस उस वक्त क्रोध ना करते हुए उसे सीखने के अवसर पर बदलने का तरीका खोजें |

ऐसा करने से न केवल आपको एक स्पष्ट और स्वस्थ दृष्टिकोण रखने में मदद मिलेगी बल्कि आप अपने बच्चों के साथ अच्छे और दृढ़ संबंध बनाने में भी सफलता प्राप्त करेंगे|

10. वैज्ञानिक तरीकों को भी अपना सकते हैं

अच्छा अभिभावक बनना हर माता-पिता का आकांक्षा होती है|संसार के कई पेरेंटिंग टेक्निक्स, प्रथाओं या परंपराओं पर वैज्ञानिकों द्वारा शोध करते हुए सत्यापित किया गया है | विज्ञान द्वारा समर्थित अच्छी पेरेंटिंग सलाह और जानकारी के लिए कई पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी है – द साइंस ऑफ पेरेंटिंग उनमें से एक है जिसे अध्ययन कर पुनः निर्देशन, तर्क, विशेषाधिकार, गैर दंडात्मक अनुशासन पद्धति इत्यादि सीख सकते हैं और अपने बच्चों के परवरिश में उसका अनुपालन कर सकते हैं

निष्कर्ष

जी हां बिल्कुल स्पष्ट और स्वच्छ विचारधारा के साथ इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि जैसे ही हम मां बाप की श्रेणी में आ जाते हैं वैसे ही हमारा दायित्व 4 गुना बढ़ जाता है जिसे निभाना इतना आसान नहीं होता है | लेकिन यदि आप चाहते हैं कि हमारे बच्चे को एक अच्छा परवरिश मिले, तो कठोर परिश्रम और अनंत त्याग करने की आवश्यकता होती है |

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