बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाये |
हमारे बच्चों को उनकी जिंदगी में किसी भी मुश्किल को पार करने की ताक़त उनके अंदर का आत्मविश्वास ही देता है, जिसे कुछ बच्चे अपने जन्म के साथ लेकर पैदा होते हैं, तो कुछ बढ़ती उम्र के साथ खुद में विकसित करते हैं। जिसमें उनका साथ देती है एक बेहतर परवरिश | सही मायनों में देखा जाये, तो एक आत्मविश्वास ही तो है, जिसके सहारे आपके बच्चे अपना भविष्य सुनहरा और खुशनुमा बना सकते हैं।
तो बच्चों में आत्मविश्वास कैसे बढ़ाये ?
अक्सर अपने बच्चों को सबसे बेहतर बनाने के चक्कर में माता पिता उन्हें अपने पैरो पर खड़ा होने ही नही देते, और ऐसे में सबसे जरूरी ताक़त यानि बच्चों के आत्मविश्वास को अक्सर माता-पिता अनदेखा कर देते हैं। और उनके बच्चे सब तरह से सक्षम होते हुए भी बाकी बच्चों से पिछड़ जाते हैं।
आपने देखा होगा की छोटे बच्चे अक्सर कितने मस्त मौला रहते हैं, वह कभी भी कुछ भी करने से पहले सोचते, डरते और घबराते नहीं है। वहीं अगर वह बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो क्लास में सही answer आते हुए भी हाथ उठाने से डरते हैं, अगर उन्हें कुछ समझ नहीं आया तो कुछ बच्चे अपनी टीचर्स तक से नहीं पूछते, साथ ही कभी-कभी बच्चे अपने घर में तो बहुत ज्यादा comfortable रहते हैं, लेकिन घर से बाहर जाते ही शर्मीले हो जाते हैं। और इसका कारण है बच्चों में आत्मविश्वास की कमी।
दोस्तों बच्चों में कॉन्फिडेंस का वही रोल है, जो रोल हमारी बॉडी में blood का है, बिना ब्लड के जैसे एक इंसान की बॉडी 24 घंटे भी नहीं टिक सकती, सोचिए बिना कॉन्फिडेंस के एक बच्चे का जीवन कैसा ही होगा ?
लेकिन अक्सर हम माता-पिता यह सोचते रह जाते हैं, कि ऐसा क्या करें जिससे हमारे बच्चों का confidence boost हो और हमारे बच्चे हर मुसीबत में डटे रहे। आज के इस article में साझा करने वाले हैं ऐसे ही कुछ तरीके, जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चों में आत्मविश्वास को जगा सकते हैं, और उनका जीवन बेहतर बना सकते हैं।
1. मदद उतनी, जितनी उनके लिए हो सही
दोस्तों माता-पिता बच्चों के जन्मदाता होते हैं, भाग्यविधाता किसी के नहीं होते। आपको इस बात को समझना होगा, अपने बच्चों के लिए yes मम्मी और yes पापा बनना अभी से बंद कर दें, अक्सर parents ये सोचते हैं, कि उन्हें उनके वक्त में जो जो नहीं मिला, वो सब वह अपने बच्चों को दे, लेकिन यह भूल जाते हैं, कि इसी बहाने कहीं ना कहीं वह अपने बच्चों को अपाहिज बना रहे हैं।
बच्चों को जब तक बैठे-बिठाए सब कुछ मिल जाएगा, तो बच्चे खुद से कुछ भी क्यों करेंगे, और फिर जब उन्हें कोई भी चैलेंज face करने के लिए मिलेगा, तो उनके अंदर ना तो चैलेंज face करने की हिम्मत होगी, ना ही उससे लड़ने की।
अगर Elon Musk के पिताजी उनकी financially help कर देते तो क्या आज वह दुनिया के सबसे अमीर इंसानों में शामिल होते? सोच कर देखिए।
2. बच्चों की सफलता पर दे तारीफों की झप्पी
बच्चों को अपनी तारीफ सुनना बहुत पसंद होता है, और कहीं ना कहीं इससे बच्चों को आगे बढ़ने का कॉन्फिडेंस ही मिलता है। अब छोटे बच्चों को भी देखिए, अगर वह अपनी क्लास की नोटबुक में एक स्टार लेकर भी आते हैं, और आप उनकी तारीफ करते हैं, तो वो अपना होमवर्क और भी ज्यादा खुशी खुशी और carefully करते हैं
इसी तरह अगर आप अपने बच्चों की हर अचीवमेंट पर उनकी तारीफ करेंगे, खुश होंगे तो आपके बच्चों को आगे बढ़ने का कॉन्फिडेंस मिलेगा, क्योंकि मत भूलिए, कि बच्चों को दूसरों को खुश करना बहुत ही पसंद होता है।
3. बच्चों को कहानियां सुनाएं
दोस्तों Einstien ने अपने इंटरव्यू में कहा है, कि अगर आप अपने बच्चों को बुद्धिमान बनाना चाहते हैं, अपने बच्चों को उनके भविष्य के लिए सफल बनाना चाहते हैं, तो उन्हें कहानियां सुनाइए।
अगर आप अपने बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करना चाहते हैं, तो उन्हें महान लोगों की, सफल लोगों की कहानियां सुनाइए, जितनी ज्यादा हो सके उतनी ज्यादा। और उनके साथ में बैठकर discussion भी करिए, ऐसे में आपके बच्चे inspire होने के साथ-साथ confident भी बनेंगे।
4. Democratic Parents बने
दोस्तों आज का वक्त वो जमाना नहीं है, जब पेरेंट्स अपने फैसले बच्चों पर थोप देते थे, और बच्चे गर्दन झुका कर उन्हें मान लेते थे। इसके विपरीत आज के समय में आप अपने बच्चों के साथ बैठकर किसी भी situation पर discussion करेंगे, और अपनी-अपनी चलाने के बजाय उनसे सुझाव और सलाह मांगिये, इससे आपके बच्चों के अंदर फैसले लेने की क्षमता का विकास होगा, और उनके 10 में से पांच फैसले आपको हैरान कर देंगे। साथ ही उनके अंदर confidence आयेगा और वो किसी भी क्षेत्र में अपना पहलू सामने रखने से नही चुकेंगे।
5. Decision की जगह options दे
बचपन से ही अपने बच्चों को फैसले लेने की स्वतंत्रता देकर देखिये, अपने बच्चों से पढ़ाई करने की कहने के बजाय उनसे यह पूछे कि बेटा आज आप कितने बजे पढ़ने बैठोगे, 2 बजे या तीन बजे, या फिर खाना खा लो कहने के बजाय अपने बच्चों से पूछे कि आज खाने में आप रोटी खाओगे या पराठे।
हम ऐसा नहीं कह रहे हैं, कि आप सभी फैसले को अपने बच्चे पर छोड़ दीजिए, और आपका बच्चा गलत फैसला ले ले। बल्कि उनको दो या तीन option दीजिए, और उनमें से decide करने को कहिये, इससे आपके बच्चे का अपने फैसलों के प्रति विश्वास बढ़ेगा और इसी के साथ उनका मनोबल भी।
6. आपके बच्चों को जरूरत है प्यार और affection की
आपके बच्चे जब भी कोई अच्छा काम करके आए हैं, जैसे किसी की मदद करना, किसी के लिए का दया दिखाना, तो अपने बच्चों को खूब लाड दुलार करें।
बचपन में जैसे आप उन्हें जादू की झप्पी देते थे वैसे ही अगर आपका बच्चा किसी बात से डरा या सहमा हुआ हो, अकेला या दुखी हो या फिर उनका कॉन्फिडेंस लो होने लगे, तो उन्हें हग करें और उन्हें इस बात का एहसास दिलाएं, कि आप उनके साथ हैं, इससे आपके बच्चे सुरक्षा का अनुभव करेंगे और साथ ही उनका मनोबल भी बढ़ेगा।
7. कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
बच्चों को हर कदम पर जब भी उन्हें हार का सामना करना पड़े, तो उन्हें कहे, कि
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
और उन्हें एक दो तीन और बार-बार जब तक सफलता ना मिले तब तक कोशिश करने के लिए प्रेरित करते रहें, इससे आपका बच्चा डिमोटिवेट नहीं होगा, और उसे सफलता मिलेगी, तो वो overconfident भी नहीं होगा। ऐसे में बच्चों का मनोबल बढ़ता है और उनका ध्यान हार से ज्यादा होकर कुछ कर दिखाने पर केंद्रित रहता है।
8. जिम्मेदारियां सिखाती है जीने का सलीका
आपके बच्चे आपके साथ घर में रहते हैं, उनकी उम्र के हिसाब से उन्हीं जिम्मेदारियां दे, जैसे आपके बच्चे छोटे हैं तो उन्हें उनका रूम खुद साफ करने को कहें, उनके बैग
स्कूल बैग, उनके खिलौने, उनकी किताबों को जगह पर रखने के लिए कहें। इसी के साथ बच्चों को गार्डन में पानी देने के लिए कहे, अपने बच्चों की किचन में हेल्प ले, इससे आपके बच्चों में जिम्मेदारी का एहसास होगा, और जहां पर जिम्मेदारियां होती है वहां पर सेल्फ कॉन्फिडेंस खुद ब खुद आ जाता है।
9. Positivity से कराएं दोस्ती
दोस्तों बच्चों को हमेशा सकरात्मक रहना सिखाएं, ताकि जिंदगी में किसी भी कदम पर जब उन्हें हार का सामना करना पड़े, तो वो हाथ पर हाथ रख कर ना बैठ जाए।
2016 के आंकड़ो में 20,000 से ज्यादा बच्चों ने आत्महत्या की, जिनमें 12000 से ज्यादा बच्चे 13 साल से कम उम्र के थे।
दोस्तों यह आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं, हमारे बच्चे अक्सर बोर्ड के एग्जाम में फेल हो जाते हैं, और पीछे रह जाने का डर उन्हें खुद को खत्म करने के लिए मजबूर कर देता है, तो ऐसे में बच्चों को बचपन से पॉजिटिव रहना सिखाएं, ताकि एक हार उनकी जिंदगी का खात्मा ना कर सके।
10. बच्चों को दोस्त और उनके सपने चुनने की आजादी दीजिये
इस बात को मत भूलिए कि ज्यादा रोक-टोक आपके बच्चों को गलत रास्ते पर ले जा सकती है, और आपका विद्रोही भी बना सकती है। जब आपके बच्चे अपने सपनों के बारे में आपसे कहे तो उनका मजाक उड़ाने के बजाय या फिर उनसे यह कहने के बजाय तुम यह नहीं कर सकते हो, यह तुम्हें यह नहीं करना है, उनके सपनों का समर्थन करें।
आप अपने बच्चों को अपनी पसंद के हिसाब से विषय चुनने की स्वतंत्रता दे, अपना करियर चुनने की स्वतंत्रता दीजिये उसी के साथ उन्हें अपनी पसंद के दोस्त चुनने दे, लेकिन आपका फ़र्ज़ उन पर नजर रखने का है, कि कहीं वह गलत संगत में तो नहीं है, बाकी अगर आपके बच्चे खुद से अपने लिए कुछ फैसले लेंगे तो उन्हें उस काम को करने में खुशी भी मिलेगी और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
11. तराजू में तोलना बंद कीजिये
भारत में बच्चों को उनकी डिग्री और उनके नंबरों के हिसाब से नापतोल किया जाता है, अगर हमारे बच्चों के 80% नंबर भी आए हैं तो हम अपने बच्चों से यह कहते हैं, कि अपने क्लास के बच्चे को देखो उसके 90% नंबर आए हैं, बजाय इसके कि इस बार तुमने अच्छा किया लेकिन अगली बार तुम्हारे इससे ज्यादा आ सकते हैं। तुम यह कर सकते हो तुम इससे बेहतर भी कर सकते हो।
12. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है
दोस्तों हमारे बच्चे वो नहीं करते, जो हम उनसे करने के लिए कहते हैं, बल्कि वह करते हैं जो हम करते हैं। सीधा मतलब है कि हमारे बच्चे हमारी ही copy करते हैं, तो अगर हम खुद को बच्चों के सामने confident रखेंगे, अपने खुद के झगड़ों को भूलकर, बच्चों की परवरिश पर ध्यान देंगे, तो हमारे बच्चे भी वैसे ही बनेंगे।
निष्कर्ष
भारत में बच्चों की पढाई पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है, जबकि आप नॉर्थ ईस्ट में जाएंगे वहां पर बच्चों को पढ़ने के साथ कम से कम एक खेल में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कहा जाता है, और यही कारण है कि पूरे देश के हर हिस्से में नॉर्थ-ईस्ट के बच्चे आपको किसी ना किसी scope में involve मिल जाएंगे, इसका सबसे बड़ा कारण है उनके अंदर का सेल्फ कॉन्फिडेंस..
अब आप Mary Kom को ही देख लीजिए, कि 5 बच्चे होने के बाद भी उन्होंने वर्ल्ड टूर्नामेंट का खिताब जीता यह उनके self-confident का ही नतीजा था। तो अपने बच्चों को पढ़ो पढ़ो के फंदे से मुक्ति दिलाकर उन्हें एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज के साथ जोड़िये, उनका विकास आपकी ही जिम्मेदारी है।
तो हमने आज के इस लेख में आपके साथ साझा किए कुछ ऐसे तरीके जिनसे आप अपने बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं, आपको आज का लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके बताइए और आप हमारी पोस्ट को शेयर भी कर सकते हैं।
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Balmukund loves his children and is the father of two lovely teenagers, aged 15 and 13. In this blog, he provides parenting advice. He hopes that his parenting tips will assist other parents in preparing their children for a bright future.