disappointed child with failed report card
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असफलता से निपटने के टिप्स (how-to-teach-children-handle-failure) 

हार और जीत यह एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, और जब बच्चों की बात आती है, तो उन्हें हर हाल में जीतना ही होता है, और अगर कभी बच्चे हार जाते हैं, या किसी और बच्चे से पीछे रह जाते हैं, या fail हो जाते हैं, तो अक्सर यह देखा जाता है, कि वह बच्चे खुद को दूसरों से कम आंकने लगते हैं, चिड़चिड़े हो जाते हैं, और कभी कभी कोशिशें करना ही छोड़ देते हैं

बीते कुछ सालों में सुनने में आया है, कि हारने के डर से कई बच्चे आत्महत्या जैसा कदम तक उठा लेते हैं,  तो क्यों ना अपने बच्चों को बचपन से ही ऐसी परवरिश दी जाए, कि अपनी जिंदगी में कभी असफल होने पर बच्चे उस हार से वह खुद को बाहर निकाल सके

Irritated Child
Irritated Child

तो इसी सोच के साथ आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं, कुछ ऐसे टिप्स, जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को फेलियर के डर पर काबू पाना सिखा पाएंगे, और बचपन से ही बच्चों को इस तरह से तैयार कर पाएंगे, कि वह अपने जीवन में हार और जीत से ज्यादा कोशिशों को महत्व दे। 

1. हार और जीत की रेस में बच्चों को भगाना बंद करें

अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को दूसरे बच्चों से आगे बढ़ने की सलाह देते हैं, और चाहे वह स्कूल का क्लास रूम हो, या फिर खेल का मैदान, हर माता-पिता यह चाहते हैं, कि उनका बच्चा दूसरे बच्चों से आगे बढ़ सके।

Mom Encouraging kid to swim in the swimming pool
Mom Encouraging kid to swim in the swimming pool

बचपन से ही बच्चों की मेंटालिटी इस तरह से सेट की जाती है, कि जो बच्चे अपनी जिंदगी में हमेशा जीतते हैं, वह अपनी हार को बर्दाश्त नहीं कर पाते, तो माता-पिता को जरूरत है, कि वह अपने बच्चों को कोशिशें करना सिखाए, ना की हार और जीत की रेस में बच्चों को भगाना। 

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2. अपने बच्चों को महान लोगों की कहानियां सुनाएं 

दोस्तों बच्चों को कहानी सुनाना पेरेंटिंग का सबसे आसान तरीका है, तो अगर आप भविष्य में किसी भी हादसे से बचना चाहते हैं, तो अपने बच्चों को सफल लोगों की कहानियां सुनाएं।

थॉमस अल्वा एडिसन ने 1000 फेल इंवेंशंस के बाद इलेक्ट्रिक बल्ब का आविष्कार किया था, और जब लोगों ने उनसे यह पूछा, कि तुम्हें 1000 फेल इंवेंशंस का दुख नहीं है, तब एडिसन ने उन्हें जवाब दिया, कि बिल्कुल भी नहीं। बल्कि उन्हें खुशी है, कि उन्हें 1000 गलत तरीकों के बारे में पता चल गया,
Thomas Edison in his lab
Thomas Edison in his lab

तो अपने बच्चों को ऐसी कहानियां सुनाएं, कि वह अपनी असफलता से डरने की बजाय फिर से एक नई कोशिश करने के लिए तैयार हो सके। 

3. अपने बच्चों का कॉन्फिडेंस ना तोड़े 

अक्सर हमारे बच्चे जब किसी भी प्रयास में फेल हो जाते हैं, या फिर कक्षा में उनके कम नंबर आते हैं, तो माता-पिता बच्चों से यह कह देते हैं, कि तुम कुछ नहीं कर पाओगे, या फिर तुमसे नहीं होगा, यह तुम्हारे बस का नहीं है.

Parents discussing with kid in unfriendly tone
Parents discussing with kid in unfriendly tone

अगर आपने बचपन से ही बच्चों से ऐसा कहा, तो आगे जाकर आपके बच्चे वास्तव में कुछ नहीं कर पाएंगे, तो कोशिश करिए कि अपने बच्चों का मनोबल कभी ना टूटने दे।

4. असफलता का मतलब हार नहीं बल्कि एक और मौका है 

शुरुआत से ही आकर आपने अपने बच्चों को यह सिखाये, कि हर रोज रात के बाद सूरज एक नई रोशनी के साथ आसमान में चमकता है, और अगर हम कभी फेल हो भी जाते हैं, तो हमारे पास एक नया मौका एक नई जीत होती है।

तो आपके बच्चे कभी भी भविष्य में असफलता से नहीं घबराएंगे, और अगर कभी बच्चे हार भी जाते हैं, तो वह फिर से एक नई कोशिश करने के लिए मैदान में खड़े रहेंगे।

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तो अगर आप भी अपने बच्चों को असफलता के डर से बचाना चाहते हैं, तो अपने बच्चों को बचपन से ही यह सिखाए, हारना जीतना जरूरी नहीं है जरूरी है अपना हंड्रेड परसेंट देना। 

5. बच्चों की हिम्मत बने 

अगर हमारे बच्चे स्कूल की पढ़ाई में नंबर कम लाते हैं, या फिर फेल हो जाते हैं, या किसी प्रतियोगिता में पीछे रह जाते हैं, उनका सिलेक्शन नहीं होता, तो अपने बच्चों को ताना मारने की बजाय उनकी हिम्मत बने

Dad encouraging his son in baseball match
Dad encouraging his son in baseball match

अगर आप अपने बच्चों को यह एहसास दिलाएंगे, कि आप हार और जीत हर कदम पर उनके साथ डटकर खड़े हैं, तो आपके बच्चे अपनी असफलता से बहुत जल्दी उबर पाएंगे, और फिर से एक नई उम्मीद नई कोशिश के साथ मैदान में खड़े रहेंगे। 

6. बच्चों की तारीफ करें 

आपके बच्चे जो कुछ भी करते हैं, आप अपने बच्चों की तारीफ करना सीखें। अगर आपके बच्चे फर्स्ट नहीं भी आते हैं  तो भी उनके पास होने को सेलिब्रेट करें, अपने बच्चे की हर अचीवमेंट को सेलिब्रेट कीजिए, अगर कहीं आपके बच्चे असफल भी हो जाते हैं, तो उनके प्रयासों को उनकी कोशिशों को सेलिब्रेट करें।

अगर आप ऐसा करेंगे तो आपके बच्चों के मन में खुद के लिए हीन भावना नहीं होगी, और बच्चे खुद को कमजोर नहीं समझेंगे, क्योंकि जब बच्चे खुद को मन ही मन में कमजोर समझना शुरू कर देते हैं, तो ना केवल वह और बच्चों से पीछे रह जाते हैं, बल्कि अगर कभी हार भी जाते हैं तो वह कोशिश करना ही बंद कर देते हैं। 

7. बच्चों को किसी से कमतर ना आंकें

अगर आपके बच्चे के नंबर किसी दूसरे बच्चे से कम आए हैं, या फिर आपके पड़ोसी के बच्चे क्लास में फर्स्ट आ गए, तो अक्सर माता-पिता अपने बच्चों से भला बुरा कहते हैं, और उन्हें डीमोटिवेट करते हैं, और अक्सर बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ कंपेयर किया जाता है।

और चाइल्ड रिपोर्ट में यह बात साबित हुई है, कि जिन बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ कंपेयर किया जाता है, अक्सर वह बच्चे कोशिशें करना छोड़ देते हैं, ऐसे बच्चों को यह लगता है कि वह चाहे जितनी मेहनत कर ले उन्हें हमेशा दूसरों से कम ही आंका जाएगा। 

तो माता-पिता को जरूरत है कि वह अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से ना करें, क्योंकि हर बच्चा किसी ना किसी काम में परफेक्ट होता है, तो जरूरी नहीं कि अगर कोई दूसरा बच्चा एक काम में परफेक्ट है, तो आपका बच्चा भी वही काम बहुत अच्छे से करे।

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Kids Comparing their height
Kids Comparing their height

तो ध्यान रखिए कि अपने बच्चों को ना तो उनके भाई बहनों और ना ही दोस्तों के साथ कंपेयर करें। 

8. बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाएं 

कभी-कभी हमारे बच्चे बहुत कुछ करना चाहते हैं, और वह कर भी लेते हैं, लेकिन जो कमी रह जाती है वह होती है बच्चों में आत्मविश्वास की।

जब हमारे बच्चों को अपनी काबिलियत और हुनर पर कॉन्फिडेंस नहीं होता, तो वह चाह कर भी आगे नहीं बढ़ पाते, तो अगर अपने बच्चों को असफलता के डर से बाहर निकालना चाहते हैं, और आप चाहते हैं कि आपके बच्चे भी बहुत कुछ करें, तो हमेशा उनका आत्मविश्वास बढ़ाये।

अपने बच्चों से कभी यह नहीं कहें, कि तुम बेकार हो तुम से कुछ नहीं होगा, या तुम यह नहीं कर सकते, अगर आप बच्चे से बार-बार यही शब्द कहेंगे, तो यह बातें उनके दिमाग में घर कर जाती हैं, और आपके बच्चे का सेल्फ कॉन्फिडेंस लो होने लगता है, और अगर आपके बच्चों में कॉन्फिडेंस खत्म हो गया, तो फिर आपके बच्चे चाह कर भी अपने जीवन में सफल नहीं हो पाएंगे। 

तो दोस्तों, अगर अपने बच्चे असफल हो भी जाते हैं, तो उन्हें आगे बढ़ने और नई कोशिश करने की प्रेरणा दे, ना कि बार बार उन्हें उनकी हार याद दिलाये, तभी आपके बच्चे कुछ नया कर पाएंगे। 

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