बच्चों को बड़ों का सम्मान करना कैसे सिखाएं
आज की 22 वीं सदी में जमाना जैसे-जैसे morden और advance हो रहा है, वैसे ही हमारे बच्चे भी एडवांस होते जा रहे हैं |
आप अगर किसी परिवार के माहौल के बारे में जानना चाहते हैं, तो उस परिवार के बच्चों से मिलिए, आपको उस परिवार के आदर्श और नियम, कायदे पता चल जाएंगे |
प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देना चाहते हैं, और इसकी कोशिश को बचपन से ही करते हैं, लेकिन फिर भी आजकल के बच्चों में बड़ों के प्रति आदर और सम्मान कहीं भी दिखाई नहीं देता।
साथियों, आजकल के बच्चे अपने माता-पिता से भी ज्यादा स्मार्ट हो चुके हैं, पहले के जमाने में जहां हम सर झुका कर अपने माता-पिता की हर बात में हां में हां मिलाते थे, वही आजकल के बच्चे हर बात में तर्क ढूंढते हैं |
हालांकि हम तो बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, लेकिन फिर भी अक्सर ये देखा गया है, कि बच्चे अपने बड़ों से बदतमीजी करते हैं, चीखते चिल्लाते है, पलट कर जबाब देते है, बहस करते हैं, गुस्सा करते हैं, उल्टा जवाब देते हैं, और बेरुखी से बात करते हैं, वहीं नमस्ते करना और पैर छूना तो जैसे बच्चे भूल ही गए हैं, क्योंकि जमाने को देखते हुए वो झुकना ही नहीं चाहते।
समय बहुत बदल चुका है, अब ना तो माता-पिता के पास इतना वक्त है, कि वह अपने बच्चों को हर छोटी बड़ी बात सिखा सके, और ना ही बच्चों के पास इतना समय है, कि वह हर वक्त अपने माता पिता की छत्रछाया में उंगली पकड़ कर चलते रहें, तो जरूरी है, कि बचपन से ही बच्चों को ऐसे माहौल में ढाला जाए, जो उनकी आदत बन जाए, और चाहकर भी उस आदत को बच्चे छोड़ ना पाए।
अगर हम अपने बच्चों को बड़ों के प्रति आदर और सम्मान सिखाना चाहते हैं, तो हमें यह कोशिश उनके जन्म से ही करनी होगी, क्योंकि
एक कुम्हार जब घड़ा बनाता है, तो बहुत ही मुलायम हाथों से थाप की चोट दे देकर उसे अंदर और बाहर से संभालता है, तब जाकर हमें एक मजबूत घड़ा मिलता है,
तो कहने का मतलब यही है, कि अगर माता-पिता भी कुम्हार की तरह अपने बच्चे को प्यार की थपकी दे, तो बच्चा अपने संस्कारों को कभी भी नहीं भूलेगा,
तो चलिए आज के इस लेख में आपके साथ साझा करते हैं कुछ ऐसे टिप्स, जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को बचपन से ही बड़ों का सम्मान करना सिखा सकते हैं।
1. बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए
ये भले ही एक कहावत हो, लेकिन असल में जिंदगी की सच्चाई भी यही है। बच्चे वही करते हैं, जो वह आपको करते हुए देखते हैं, तो अगर आप अपने से बड़ों की इज्जत करेंगे, उन्हें मान सम्मान देंगे, तो आपके बच्चे भी आपकी देखा देखी बचपन से वही करेंगे।
श्री कृष्ण ने भगवत गीता में कहा है, कि कर्म करो फल की चिंता मत करो, तो यह आपके कर्म ही है, जो आपके बच्चों का भविष्य बनाएंगे, और इसका फल आपको भी मिलेगा, तो अगर अपने बच्चों से यह उम्मीद करते हैं, कि वह अपने से बड़ों का आदर सम्मान करे, तो इसकी शुरुआत आप खुद से करें।
2. अपने बच्चों के साथ समय बिताएं
बिजी लाइफ स्टाइल और कमाने की भागदौड़ में आजकल के माता-पिता ने अपने बच्चों को सुख सुविधाएं तो सभी दी हैं, लेकिन उन्हें संस्कार देना भूल गए हैं,
तो जरूरी है कि थोड़ा वक्त निकाल कर अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दीजिए। उन्हें अपने से बड़ों का महत्व बताइए, तभी आपके बच्चे अपने से बड़ों का आदर और सम्मान करना सीखेंगे।
3. बचपन की नादानियों को नजरअंदाज ना करें
अक्सर बच्चे जब बोलना सीखते हैं, तो वह दादा दादी के लाड में अपनी मां, अपने पिता से तू तू करके बात करते हैं। और वह तोतली जुबान में जो बोलते हैं, उसे देखकर सभी खुश होते हैं,
लेकिन अगर आपने तभी बच्चों को नहीं टोका, और सही शिक्षा नहीं दी, तो यही बच्चे बड़े होकर अपने दादा दादी से भी इसी भाषा में बात करेंगे, और केवल घर में ही नहीं बाहर भी उनका यही रवैया होगा, तो नादानियों पर हंसने की बजाय उन्हें अच्छी शिक्षा दें।
4. बच्चों को भी जरूरत है सम्मान की
दोस्तों अक्सर हम लोग यह सोचते हैं, कि बच्चे हमारा आदर सम्मान करें, और इसी के चलते हम बच्चों को बात बात पर डांटते फटकारते हैं, और कभी-कभी उन पर गुस्सा करते हैं, हाथ उठा देते हैं, लेकिन आजकल के बच्चे प्रैक्टिकल पर ज्यादा विश्वास करते हैं,
तो जैसा आप उनके साथ करेंगे वह वैसा ही आपके साथ करेंगे, तो जरूरी है कि आप अपने बच्चों से तुम और आप करके बात करें, तभी आपके बच्चे भी वैसे ही बात करेंगे, और आपने बचपन से ही तू तड़ाक किया, तो अपने सम्मान को तो भूल ही जाइए।
5. अपने बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें
अक्सर ऐसा देखा जाता है, कि अचानक ही हमारे बच्चे आक्रमक होने लगते हैं, वह बात बात पर नाराज हो जाते हैं, गुस्सा करते हैं चीखते चिल्लाते हैं। तो अगर आप भी उनसे उन्हीं की भाषा में बात करेंगे, तो बात बिगड़ सकती है,
माता पिता होने के नाते आप बच्चों से प्यार से पेश आए, और शांति से यह ढूंढने की कोशिश करें, कि आखिर गलती कहां हो रही है, और बच्चे ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं, जब आप बच्चों को यह महसूस कराएंगे, कि आप हमेशा उनके साथ है, और उनके साथ कुछ गलत नहीं होने देंगे, तो आपके बच्चे खुद ब खुद आपके आपका आदर और मान सम्मान करने लगेंगे।
6. ज्यादा डांटना भी नहीं है सही
याद कीजिए, कि बीते हफ्ते में कितनी बार आपने अपने बच्चों की बात को नजरअंदाज किया है, और अपनी परेशानियों के चलते उनकी हर बात को बिना सुने ही उन्हें डांट दिया है |
अगर लगातार आपका रवैया ऐसा ही रहा, तो आपके बच्चे आपकी रिस्पेक्ट करना बंद कर देंगे, क्योंकि बच्चों पर आप नेगेटिव असर छोड़ रहे हो, बच्चे उसे ही अपना एटीट्यूड बना लेंगे, और फिर यह आप पर ही भारी पड़ने वाला है, इसीलिए अपनी प्रॉब्लम से थोड़ा दूर हटकर बच्चों की तरफ ध्यान दें।
7. अभिवादन करने की आदत डालें
बचपन से अपने बच्चों में यह आदत डालें, कि अपने से बड़ों को देखते ही नमस्ते, सुप्रभात और हाथ जोड़कर प्रणाम करें। साथ ही बड़े लोगों के पैर छूने की आदत भी आप बच्चों को सिखाइए, और यह आदत आपको सिखाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी, जब आपके बच्चे आपको यह करता हुआ देखेंगे।
तो आप अपने से बड़ों के साथ अगर अभिवादन का प्रयोग करेंगे, तो आपके बच्चे वही व्यवहार आपके साथ करेंगे, तो जरूरी है कि अपनी संस्कृति का प्रभाव अपने बच्चों में आने दें।
स्कूल जाने से पहले उन्हें अपने दादा दादी के पैर छूने को कहें, ऐसा करने से आपके बच्चे ना केवल आपसे बड़ों का बल्कि आप का भी सम्मान करेंगे।
8. इंस्ट्रक्शन नही inspiration दीजिये
आजकल के कंप्यूटर वाले बच्चों के जरूरी है, उनके माता पिता उनके रोल मॉडल बने, उन्हें अपने ढंग से चलाने के लिए खुद को उनका आदर्श बनाइये, तो बदलाव खुद से शुरू कीजिये, क्योंकि इतिहास हमेशा खुद को दोहराता है।
तो साथियों उम्मीद करते हैं, कि यह टिप्स आपके जरूर काम आएंगे, और आप इनकी मदद से अपने बच्चों को आदर करना जरूर सिखाएंगे। आपको यह पोस्ट कैसी लगी अपनी प्रतिक्रिया हमारे साथ जरूर साझा करें।।
Rohit is a blogger and a father of two adorable children, aged six and one. He enjoys spending time with his kids. In this blog, he discusses his parenting experiences. His hope is that his parenting tips will help other parents in developing strong bonds with their children