छोटे बच्चों को दावा कैसे खिलाएं ? (How to give medicine to kids in hindi ?)
छोटे बच्चों को पालने में सबसे मुश्किल काम होता है, बच्चों को दवा खिलाना। दोस्तों! अक्सर छोटे बच्चे मौसम के बदलने के साथ बीमार होते ही रहते हैं, उन्हें भी खांसी, जुकाम, बुखार, उल्टी, दस्त जैसी परेशानियां होती ही रहती हैं, ऐसे में हम उन्हें डॉक्टर के पास ले जाते हैं, और डॉक्टर उन्हें जो दवाइयां prescribe करते हैं, बच्चे उन्हें लेने से कतराते हैं। तो क्या कोई ऐसा उपाय है? जिससे बच्चे आसानी से दवाई ले सके?
आजकल बच्चों को दवाई खिलाना किसी पहाड़ पर चढ़ने से कम नहीं है, कभी-कभी बच्चों को दवाई का स्वाद अच्छा नहीं लगता, तो कभी-कभी बच्चों के मन में दवाई एक भूत की तरह बैठ जाती है, और उन्हें दवाई का नाम सुनते ही डर लगने लगता है, तो कभी-कभी बच्चे दवाई खाते ही तुरंत उल्टी कर देते हैं, और ऐसे में बच्चों के शरीर में दवाई लग ही नहीं पाती।
अब ये तो गंभीर समस्या है, क्योंकि जब तक बच्चे दवाई खाएंगे ही नहीं, तो उसका असर कैसे होगा? तो ऐसे में मां बाप के सामने सबसे बड़ी समस्या यह आती है, कि अपने बच्चों को आसानी से दवाई कैसे खिलाएं? ताकि उनकी बीमारी जल्दी से जल्दी ठीक हो।
अगर आप भी छोटे बच्चों के माता-पिता हैं, और परेशान हैं कि उन्हें दवाई कैसे खिलाई जाए, तो आज के आर्टिकल में हम साझा करने वाले हैं कुछ ऐसे कारगर उपाय, जिनकी मदद से आप बड़ी आसानी से अपने बच्चों को दवाई खिला सकते हैं। और वह आसानी से खा भी लेंगे। इसके लिए आज का हमारा लेख पूरा पढ़ियेगा।
1. दवा वही जिसका taste हो सही
अगर आपको कोई कड़वी चीज खाने के लिए दी जाए, तो क्या आप उसे खाना पसंद करेंगे? चलिए एक बार आप खा भी लेंगे, तो क्या दोबारा आप उसे खाएंगे? कभी नहीं… तो सोचिए वो तो छोटे बच्चे हैं, जब बच्चों को खाने का टेस्ट पसंद ना आने पर वह खाना छोड़ देते हैं, फिर दवा की तो बात ही क्या है।
Point यह है दोस्तों, कि अगर दवा का टेस्ट अच्छा नहीं है, तो आपका बच्चा वो दवा दोबारा बिल्कुल नहीं खाएगा। इसके लिए आपको करना क्या है, कि अपनी डॉक्टर से consult कीजिए, अपने डॉक्टर से पूछे, कि अगर आपका बच्चा यह दवा नहीं खाता है, या इसका इस दवा का टेस्ट आपके बच्चे को अच्छा नहीं लगता है, तो इसकी ऑप्शनल दवा क्या हो सकती है, और उस दवा को try कीजिए।
कई सारी दवाइयां ऐसी आती हैं, जिनकी replacement दवाइयां मौजूद होती हैं, इससे आपका काम काफी हद तक आसान हो जायगा |
2. पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें
अरे हम कोई निरमा साबुन के एड की टैग लाइन नहीं सुना रहे हैं, बच्चों को दवा खिलाने के लिए आप हमेशा एक ही तरीका क्यों इस्तेमाल करना? क्यों ना अलग-अलग तरीकों को इस्तेमाल किया जाए, और जो सबसे ज्यादा कारागार हो उसे ही अपनाया जाए। आप बच्चों को दवा खिलाने के लिए dropper का इस्तेमाल कर सकते हैं, जब हमारे बच्चे बहुत छोटे होते हैं, तब 6 महीने तक के बच्चों को हम विटामिन डी का सिरप dropper से ही तो पिलाते हैं, और विटामिन D के syrup का टेस्ट भी बड़ा कमाल का होता है, तो बच्चों को उसके आदत भी होती है, ऐसे में अगर आप dropper का इस्तेमाल करेंगे, तो बच्चों को लगेगा कि आप वही विटामिन डी वाली दवा पिला रहे हैं, और वह आसानी से उसे पी लेंगे।
इसके अलावा आप syringe का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, जिससे एक झटके में दवा बच्चों के गले में चली जाएगी, और आपको परेशानी भी नहीं होगी। अगर आपका बच्चा बड़ा है, तो दवाओं के साथ एक measuring कप आता है, आप उसमें बच्चों को दवा पिला सकते हैं, अगर बच्चा तब भी दवा नहीं लेता है, आपके घर में आप अलग-अलग तरह के छोटे कांच के गिलास और कप रखिए, अब उन्हें अलग-अलग टाइम पर अलग-अलग गिलास से अपने बच्चों को दवा दीजिए, बच्चे नहीं लेने में आनाकानी बिल्कुल नहीं करेंगे।
इसके अलावा आप चम्मच का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन याद रखिए छोटे बच्चों को खाना खिलाते समय आप जिस चम्मच का इस्तेमाल करते हैं, उसी चम्मच का इस्तेमाल करें। क्योंकि बच्चों को अपनी चीजों की आदत होती है।
3. एक फूँक जादू की छड़ी
अब जो तरीका बताने वाले हैं, वो सच में जादू की छड़ी का काम करता है। जब आप बच्चों को दवा खिलाते हैं, तो बच्चों के मुंह में दवा डालते ही बच्चों की आंखों पर हल्की सी फूँक मार दें। इससे क्या होगा, कि आपके बच्चे अचानक से आंख बंद करेंगे, उसी के साथ वह दवा को अंदर गटक लेंगे, क्योंकि अचानक से आंख बंद करने पर उनकी सांस रुकेगी और वह मुंह से सांस लेने के लिए की वजह से वो दवा गटक लेंगे इससे आपका काम आसान हो जाएगा।
4. गले की जगह cheek pocket में डाले दवा
दोस्तों डॉक्टर बात को highly recommend करते हैं, कि बच्चों को अगर अब गले में दवा खिलाते या डालते हो, तो बच्चों के हलक में दवा अटकने के चांस ज्यादा रहते हैं, और बच्चे यकीनन उल्टी करेंगे। इसके विपरीत अगर आप बच्चों के गालों को अपने अंगूठे से खींच कर गाल की सतह से एक तरफ साइड में ड्रॉपर से दवा डालते हो, तो दवा हल्के से सरक कर अपने आप उनके पेट में चली जाएगी, इसके ना तो बच्चों को टेस्ट feel होगा और ना ही वह उल्टी करेंगे।
5. Syrup नहीं तो गोली ही सही
सबसे पहले आप यह जानने की कोशिश कीजिए, कि आपका बच्चा गोली खाने में comfortable है या सिरप पीने में।
अगर आपका बच्चा गोली खाने में कंफर्टेबल है, और बहुत छोटा बच्चा है तो उसे गोली को शहद में या पानी में घोलकर गाढ़ा गाढ़ा पेस्ट बनाकर आप उसके गालों के अंदर की तरफ चिपका दीजिए, इससे बच्चा ना तो उल्टी करेगा, और ना ही वह दवा को बाहर निकाल पाएगा। और ऊपर से थोड़ा सा पानी पिला दीजिए।
6. खेल-खेल में सब आसान है
दोस्तों बच्चों का mind divert करना सबसे आसान काम होता है, इस बात को ensure कीजिए, कि जब आपका बच्चा खेल में लगा हो, तब आप उसे अचानक से उसका ध्यान किसी दूसरी तरफ लगाकर उसे दवा खिला दीजिये। 1 मिनट के लिए वह बच्चा सहम जरूर जायेगा, लेकिन तब तक दवा उसके पेट में जा चुकी होगी। इससे आपका काम भी आसान हो जाएगा, और आपका बच्चा भी रोएगा और चिल्लाएगा भी नहीं।
7. कभी कभी रिश्वत देना भी है सही
बच्चों को अक्सर दवाओं का taste खास पसंद नही होता, तो क्यों न बच्चों को उन चीजों की रिश्वत दी जाये,जो उन्हें पसंद हो, जैसे चॉकलेट, lollipop, या कोई खिलौना। आपका बच्चा अगर 2 साल से बड़ा है, तो उसके साथ आप ये trick आजमा सकती हैं, यकीनन काम आयेगी।
8. दवा खिलाईये, डराइये मत
कभी कभी parents बच्चों की health को लेकर इतना परेशान हो जाते हैं, कि दवा खिलाते समय वो खुद कब जोर जबरदस्ती करने लगते हैं और aggressive हो जाते हैं उन्हें खुद पता नही चलता, लेकिन parents को ये खास ख्याल रखने की जरूरत है कि आप बच्चे से जितना जोर जबरदस्ती और डांटना फटकारना वाला तरीका अपनाएंगे, आपके बच्चे उतने ही जिद्दी होते जायेंगे।
9. कहानी सुनाएँ, बच्चों को समझायें, उनकी तारीफ करें
अगर आपके बच्चे दो 3 साल से बड़े हैं, तो एक बार बच्चों को समझा कर देखिए। जरूरत पड़ने पर आप उन्हें कहानियां सुना सकते हैं, कि बेटा आप अगर यह दवाई खाओगे, तो आप इतने स्ट्रांग हो जाओगे, फिर आप यह काम कर पाओगे, आप big बन जाओगे, आप कोशिश करके देखिए बच्चे कभी कभी बातों को समझते हैं, क्योंकि आप से कहीं ज्यादा बच्चे परेशान बच्चे खुद परेशान होते हैं, क्योंकि वह खुद उस परेशानी से जूझ रहे होते हैं।
तो अगर आप अपने बच्चों को समझाएंगे तो हो सकता है बच्चे समझ जाए, और दवाई खाने को तैयार भी हो जाए। इसी के साथ अगर आपका बच्चा दवा खा लेता है तो उसकी तारीफ करना न भूले, बच्चों को सबसे ज्यादा खुशी दूसरों को खुश करने में मिलती है।
10. माहौल बदल कर देखिए
अगर आपके बच्चे आपके हाथों से दवाई नहीं खाते हैं, तो आपके घर में जिस भी सदस्य से बच्चे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, आप उनके हाथों से दवाई दिलवाने की कोशिश कीजिए। अगर तब भी बच्चे नहीं खाते हैं तो बच्चों का माहौल बदलिए, आप बच्चों को बालकनी में ले जा सकती है, छत पर ले जा सकती हैं, घर के बाहर ले जा सकती है, और बच्चों को बातों में लगाकर दवाई दे सकती है। हालांकि बच्चों को टेस्ट कड़वा लगेगा आप उन्हें तुरंत पानी पिला दे, क्योंकि डॉक्टर भी कहते हैं कि दवा के साथ थोड़ा सा पानी पीना नुकसान नहीं करता।
कुछ बातों का विशेष ध्यान |
तो दोस्तों यह तो तरीके थे बच्चों को दवा खिलाने के लिए, लेकिन बच्चों को दवा खिलाते समय आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- अगर आपके बच्चे ने दवा खाकर तुरंत उल्टी की है, तो आप उसी दवा को दोबारा खिलाइए, क्योंकि एक दवा को शरीर तक पहुंचने में कम से कम आधा घंटा लगता है |
- दवा को कभी भी चॉकलेट या जूस में मिलाकर ना दें, इससे दवा का असर लगभग खत्म हो जाता है।
- बच्चे को खिलाने वाली दवाओं की expiry डेट को हमेशा चेक करें |
- एंटीबायोटिक सिरप पिलाने से पहले उन्हें shake करना ना भूलें |
- दवा खिलाने के आधे घंटे बाद तक बच्चों को पानी के सिवा कुछ ना दें |
- बच्चों को दवा खाली पेट ही खिलाएं, क्योंकि बच्चों की दवाइयां heavy नही होती, और अगर वो उल्टी करे भी, तो उनका खाया हुआ खाना बाहर ना आए।
- बच्चों को सोते-सोते कभी भी दवा ना दें |
- Eardrop, eye drop और नाक में डालने वाली दवाई बच्चों को गहरी नींद में ही दे।
- अगर आपका बच्चा दवाई बिल्कुल नहीं खाता तो आप injection को prefer कर सकती हैं, क्योंकि हमारा मकसद बच्चे को जल्दी से जल्दी स्वस्थ करना है।
तो दोस्तों आज के इस लेख में हमने आपको बताया कि बच्चों को दवाई आप किन तरीकों से बड़ी आसानी से खिला सकते हैं, आपको हमारा लेख पसंद आया हो तो हमें कमेंट सेक्शन में बताइए और अपने हमारे blog को आप शेयर भी कर सकते हैं।
हमारे पेरेंटिंग एडवाइस आर्टिकल
- 10 सबसे बड़ी बातें, जो आपको एक अच्छा पैरंट्स बनने के लिए करे प्रेरित |
- बच्चों को डिप्रेशन से कैसे रखें दूर ?
- चिल्लाते हुए जिद्दी बच्चे को कैसे करें शांत ?
- बच्चों को गलत संगत में बिगड़ने से कैसे बचाएं ?
Balmukund loves his children and is the father of two lovely teenagers, aged 15 and 13. In this blog, he provides parenting advice. He hopes that his parenting tips will assist other parents in preparing their children for a bright future.