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बच्चों को गलत संगत में बिगड़ने से बचाएं |

बच्चे जैसे ही किशोरावस्था की उम्र तक आते हैं, माता-पिता की चिंताएं बढ़ने लगती हैं, कि कहीं हमारा बच्चा गलत संगत में नहीं पड़ जाए। क्योंकि माता-पिता जानते हैं, कि

जैसी संगत वैसी रंगत” 

हमारा बच्चा जैसी संगत में आएगा वो खुद भी वैसा ही हो जाएगा। आजकल जमाने के माहौल को देखते हुए ये चिंता और भी गहरी होती जाती है, और यह जायज भी है, क्योंकि हर माता-पिता चाहते हैं, कि उनका बच्चा अपना भविष्य उज्जवल बनाए, ना कि गलत संगत में आकर अपना भविष्य खराब कर ले। 

तो क्या सच में ऐसा कोई तरीका है, जिससे अपने बच्चों को गलत संगत में पड़ने से रोका जा सकता है??

दोस्तों आज की generation जितनी fast grow कर रही है उतनी ही तेजी से बच्चों में बुरी आदतें भी बढ़ती जा रही है, और हर माता-पिता की एक ही common समस्या है, कि हम अपने बच्चों को गलत संगत में आने से कैसे बचाएं? 

  • कहीं हमारा बच्चा गलत लोगों के साथ ना उठने बैठने लगे, लेकिन क्या यह चिंता करना ही काफी होगा?
  • क्या हम ऐसा कुछ नहीं कर सकते, कि हमें यह चिंता करने की जरूरत ही ना पड़े? 
  • कि हमारा बच्चा गलत संगत में ना पड़े। 

बच्चों को गलत संगत से बचाने बचाना बड़ा ही आसान है, और उसके लिए जो कुछ भी किया जा सकता है, वह सिर्फ मां बाप ही कर सकते हैं, क्योंकि माता-पिता बच्चों के जन्मदाता होते हैं,  भाग्यविधाता किसी के नहीं होते। लेकिन माता-पिता बच्चों के भाग्य को अच्छा रखने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश से तो कर ही सकते हैं,

 तो ऐसा क्या करें? जिससे हमारा बच्चा गलत संगत में ना आए ?

एक माता पिता होने के नाते हम अपने बच्चों का बहुत अच्छे से पालन पोषण तो करते हैं, लेकिन हम यह भूल जाते हैं, कि हमारे बच्चों का भी अपना एक जीवन है, वह न केवल शारीरिक तौर से बल्कि मानसिक तौर से भी बड़े हो रहे हैं, और हम यह स्वीकार नहीं कर पाते। 

जब माता-पिता बच्चों में आ रहे बदलाव को स्वीकार नहीं कर पाते, तो बच्चे और माता पिता के बीच में दूरी आने लगती है, और वही दूरी बच्चों को गलत संगत की तरफ ले जाती है, क्योंकि जब बच्चों की बातें सुनी नहीं जाएंगी, बच्चों को समझा नहीं जाएगा, तो बच्चे अपनी बातों को सुनाने के लिए,  खुद को समझाने के लिए, बाहरी लोगों का सहारा लेंगे। और बाहरी लोगों में दोस्त, रिश्तेदार उनको कब क्या सलाह देते हैं इस पर हमारा कोई भी control नहीं होता, 

तो आज के आर्टिकल में आपको बताएंगे कि आप ऐसा क्या कर सकते हैं, जिससे आपके बच्चों को गलत संगत से रोका जा सके। 

दोस्तों बच्चों को गलत संगत से बचाने के बड़े ही आसान उपाय हैं, अगर हम बच्चों शुरुआत से ही उपाय पर ध्यान दें तो बड़ी ही आसानी से हम अपने बच्चों को गलत संगत में जाने से रोक सकते हैं।

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1. बच्चों को दोस्त नहीं दोस्ती की जरूरत है

आजकल की smart parenting में हर माता-पिता ये चाहते हैं, कि वह अपने बच्चों के दोस्त बने, लेकिन क्या सच में बच्चों को दोस्त की जरूरत है? दोस्तों! घर के बाहर निकलते ही हर दूसरे कदम पर बच्चों को एक नया दोस्त मिल सकता है, लेकिन वास्तव में हमारे बच्चों को एक सही दोस्ती की जरूरत है, उन्हें एक ऐसा साथी चाहिए, जिससे वह अपने मन की सारी बातें कह सके, और वह उसे judge भी ना करें, और ना ही उसके लिए अपने मन में कोई गलत भावना रखें, और साथ ही उसकी समस्याओं का भी हल निकाले। 

Father Child Friendship
Father Child Friendship

तो हमारे बच्चों को दोस्ती की जरूरत है अब यह माता-पिता के ऊपर निर्भर करता है, कि वह दोस्ती तो घर से बाहर जाकर ढूंढ ले, या फिर उस दोस्ती को हम अपने घर में ही बच्चों को दे सकते हैं। 

2. बच्चों के साथ समय बिताएँ

 एक छोटे पौधे को अगर वक्त पर पानी, सूरज की रोशनी, और हवा नहीं मिलेगी, तो वह मुरझाने लगेंगे। 

अगर इसी बात को तो अपने बच्चों पर लागू करें, तो..! बच्चों के साथ अगर माता-पिता समय बिताएंगे, तो बच्चे कहीं और अपना वक्त बिताने क्यों ही जाएंगे। तो क्यों ना अपने बच्चों के साथ उन्हीं की उम्र का बनकर वक्त बिताया जाए।

Family Spending time together
Family Spending time together

24 घंटे में कुछ मिनटों के लिए क्या हम अपना माता-पिता वाला रौब छोड़कर बच्चों की तरह उन्हीं के उम्र का बनकर नहीं रह सकते?

सोच कर देखिए…! अगर हम 24 घंटे में से आधा घंटा भी अपने बच्चों के साथ बिताएंगे, तो हमारे बच्चे हमसे दूर होंगे ही नहीं, और जब बच्चे मां बाप से दूर नहीं होंगे तो गलत संगत में जाने का तो सवाल ही नहीं उठता। 

3. Communication lack ना होने दें 

आप ही जवाब दीजिए, कि आखिरी बार आपने अपने टीन एजर बच्चे से कब बैठकर शांति से बात की थ? दोस्तों होता क्या है, कि हम अपनी लाइफ में इतने बिजी रहते हैं कि अपने बच्चों से बात करने की फुर्सत ही नहीं मिलती।

जब तक हम अपने बच्चों से बात नहीं करेंगे हमें कैसे पता चलेगा, कि उनकी जिंदगी में आखिर चल क्या रहा है? और जब हमें बच्चों की जिंदगी के बारे में पता नहीं चलेगा, तो उनकी जिंदगी और उनकी जिंदगी से जुड़े लोगों के बारे में हम कैसे जान पाएंगे?

Mom talking to her teenage daughter
Mom talking to her teenage daughter

तो जरूरी है कि अपने बच्चों से बातचीत के लिए समय निकालें, क्योंकि हेल्दी कम्युनिकेशन एक हेल्दी रिलेशनशिप बनाता है। अपने बच्चों से अकेले में बैठकर उनकी उम्र की बातें करें, उनकी भावनाओं का सम्मान करें। 

4. बच्चों को हर वक़्त advisor नही guide की जरूरत है |

दोस्तों बच्चे जब Teenage में आते हैं, तो उनके जो उनके बॉडी के Harmons ना केवल शारीरिक रूप से बढ़ते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी बढ़ते हैं। ऐसे में आप बच्चों पर अपने हर फैसले को थोप नहीं सकते, आपके बच्चे कोई कठपुतली नहीं हैं, जिन्हें आप अपनी मर्जी से जहां चाहे वहां चला सकते हैं |

teenager boy vaping
धूम्रपान किशोर

आप चाहतें हैं, कि आपका बच्चा सिगरेट शराब drugs को हाथ भी ना लगाए, तो आप उन्हें हुक्म या चेतावनी देने के बजाय, उन्हें इन सब गलत आदतों के side effects समझाए |

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माता पिता होने के नाते अगर आप अपने बच्चों से एक बार ये कह दे, कि बेटा तुम्हें कभी भी ऐसे शौक करने का मन हो, मेरे पास आना, मेरे सामने बैठकर करना, मैं तुम्हें उसके फायदे नुकसान बताऊंगा, उसके बाद जो तुम्हारा फैसल होगा, तुम वही करना, तो क्या आपका बच्चा आपसे छुपकर ऐसा कुछ करने की सोचेगा?

5. अपने फैसले खुद लेने दे |

दोस्तों अपने बच्चों के साथ अपना bond strong करने के लिए यह जरूरी है, कि आप उन्हें उनके फैसले खुद लेने दें। आप उन्हें गाइड कीजिए, कि क्या चीज उनके लिए सही है क्या गलत, लेकिन आखिरी फैसला उनका होने दीजिए।

child making decision
child making decision

वह एक बार गलत फैसला लेंगे, दो बार गलत फैसला लेंगे, लेकिन फिर वह धीरे-धीरे अपने लिए क्या अच्छा है क्या बुरा है यह समझने लगेंगे। इसी के साथ उन्हें इस बात का यकीन होगा कि उनके माता-पिता उन पर भरोसा करते हैं। और इस बात का खास ख्याल रखे कि हर बार उनकी हर बात को ना न कहें। 

6. नजर रखें नजरबंदी ना करें |

अक्सर माता-पिता क्या करते हैं, अपने बच्चों एक गलती पर उन पर पाबंदियां लगा देते हैं, बार-बार उनका मोबाइल चेक करते हैं, और फिर होता क्या है, कि बच्चों की जिंदगी में जो कुछ चल रहा होता है वह सोशल मीडिया पर सबको पता होगा, लेकिन उनके माता-पिता ही उन सब से अनजान होंगे।

Mom talking to her daughter
Mom talking to her daughter

आपके बच्चे फोन में लॉक लगाने लगेंगे, आपसे बातें छुपाने लगेंगे, इससे क्या आपके बच्चे सुधर सकते हैं? नहीं! आप नजर रखें कि उनके दोस्त कैसे हैं, किन लोगों के साथ उठ बैठ रहे हैं, अगर आपको कोई भी गड़बड़ लगती है, तो आप शांति से बैठ कर अपने बच्चों से बात कर सकते हैं, इस तरह से नजरबंदी करने से या पाबंदियां लगाने से आपके बच्चे गलत संगत में पड़ेंगे, और आपसे चीजें छुपाने लगेंगे। 

7. बच्चों को अपनी बात कहने का मौका दें |

एक बात बताइए, बचपन में जब आपके बच्चे कुछ भी कर कर आते थे आपको बताते थे, तो आप कैसा रिएक्शन देते थे? आपका जवाब है कि माता-पिता खुश होते थे, अगर वही बच्चे बड़े होकर कोई काम कर कर आते हैं, जैसे कि स्कूल bunk करके movie देखने जाते हैं और आपको घर आकर बताते हैं, कि आज हमने school bunk किया हैं, तो क्या आप उनकी बात सुनकर खुश होंगे ?

बिल्कुल नहीं!.. बल्कि आप उन पर चीखने चिल्लाने लगेंगे, उन्हें डाटेंगे, उन पर पाबंदियां लगा देंगे, इससे क्या होगा क्या अगली बार आपके बच्चे आपको वह सब बताएंगे?

son ignoring dad
son ignoring dad

बिल्कुल नहीं! और आपको क्या लगेगा क्या आपके बच्चे ने वह सब गलत काम करने बंद कर दिए हैं, लेकिन असल में बच्चों ने ऐसा कुछ करना बंद नहीं किया, आपको बताना बंद कर दिया है… और धीरे-धीरे आपके बच्चे आपसे दूर होते जाएंगे। 

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8. Generation gap की respect करें |

दोस्तों अक्सर माता-पिता इस बात पर यकीन नहीं कर पाते, कि उनका बच्चा बड़ा हो गया है। बात तो यह है, कि आपने और आपके बच्चों में एक पूरी की पूरी पीढ़ी का अंतर है, ठीक उसी तरह से जैसे वह बचपन में थे, क्या बड़े होने के बाद भी बच्चे उसी तरीके से treat किए जा सकते हैं? जैसे हम अपने time में रहे, क्या आज के बच्चे उस माहौल में पनप पाएंगे?

अगर आप यह सोचते हैं कि आप अपने बच्चों को उसी तरह से रख सकते हैं, जैसे वह बचपन में हुआ करते थे, तो इसका मतलब आप खुद माता-पिता बन ही नहीं पा रहे,

फिर बच्चे अपने generation वाला माहौल बाहर ढूंढने लगते हैं, और उन्हें उन्हीं के जैसे दोस्त जो सलाह देते हैं, वह उसी पर अमल करने लगते हैं।

जबकि उनके वो दोस्त भी उनकी जैसी ही परिस्थिति में होते हैं, उन्हें भी अपनी generation वाला माहौल ढूंढने के लिए बाहर किसी को ढूंढना होता है, तो जब 2 एक जैसे दिमाग जो खुद confuse है, वह क्या कोई सही फैसला ले सकते हैं?

और बस नतीजा क्या होता है, कि हमारे बच्चे गलत संगत में जाते हैं। इससे बचने के लिए अपनी पीढ़ी के अंतर को सिर्फ शारीरिक तौर पर बढ़ने दे, उसे मानसिक ना बनाएं। 

निष्कर्ष :

दोस्तों बच्चों को गलत संगत में से बचाने के लिए आपको कोई खास मेहनत करने की जरूरत नहीं है, बस बच्चों के पालन पोषण के अलावा आप को बच्चों के मानसिक स्तर को समझने की भी जरूरत है। और आप अपने बच्चों को किसी भी गलत संगत में पड़ने से गलत फैसले लेने से बचा सकते हैं। 

तो आज के आर्टिकल में हमने आपको बताएं कुछ ऐसे टिप्स जिनसे आप अपने बच्चों को गलत संगत तक पढ़ने से रोक सकते और एक सही तरीके से स्मार्ट पेंटिंग कर सकते हैं आपको लेख पसंद आया हो तो हमें कमेंट सेक्शन में बताइए और इसे आप शेयर भी कर सकते हैं |

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