बच्चों से अपनी बात मनवायें |
21 century ke advance technology की तरह, आजकल के बच्चे भी एकदम advance हो गए हैं। हमारी generation में हम अपने parents की बात ना सिर्फ सुनते थे, बल्कि follow भी करते थे। लेकिन आज हर parents की सिर्फ एक ही शिकायत होगी, कि हमारे बच्चे हमारी बात नहीं मानते।
हम अपने बच्चों से जिस काम को करने की मना करते हैं, वह जानबूझकर उसी काम को सबसे पहले करना चाहते हैं। हर बात पर अपनी जिद करते हैं, और अपनी जिद को मनवाने के लिए वो सारे तरीके अपनाते हैं, जो वह कर सकते हैं, और सभी parents बस यही solution चाहते हैं, कि
बच्चा पूरा दिन मोबाइल चलाता है, जब आप उसे मोबाइल रखने को कहते है, वह आपकी बात नहीं सुनता और अनसुना कर देत| है |,
आपने अपने बच्चे को दाल और रोटी खाने के लिए कहा, लेकिन उसे पिज़्ज़ा खाना है, वह आपकी बात नहीं मानेगा। बच्चे भूखे रहने को तैयार होते हैं लेकिन वह वही चीज खाएंगे, जो उनका मन करेगा।
अब हम तो parents हैं, हमारी जिम्मेदारी अपने बच्चों को healthy खिलाने की और अपने बच्चों की life में Discipline, Happiness और Success लाने की है। तो आज के आर्टिकल में आप पढ़ने वाले हैं, बच्चों से अपनी बातें मनवाने के कुछ आसान तरीके।
दोस्तों! बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जैसे साँचे में ढाला जाएगा वो वैसे ही बन जाते हैं,
और दूसरी बात ये कि बच्चे अपने parents की Xerox होते हैं, और उनको सही दिशा में लेकर जाना उनके parents की ही Responsibility होती है.
पहले joint families में बच्चे दादा – दादी, चाचा – चाची के साथ रहते थे, और इतने सारे बड़े लोगों के साथ रहने की वजह से उनके अंदर वो सभी moral values खुद ब खुद आ जाती थी।
लेकिन Nuclear Families में बच्चे सिर्फ अपने parents को ही follow करते हैं, तो जैसा parents करेंगे बच्चे भी वैसा ही करेंगे, तो अगर आपके बच्चे भी आपकी बात नहीं मानते हैं, हर बात पर जिद करते हैं, तो इसमें कहीं ना कहीं आपकी ही गलती है |
तो चलिए आज आपके साथ साझा करते हैं, कुछ ऐसे टिप्स जिनकी मदद से आप अपने बच्चों से अपनी बात मनवा सकते हैं।
बच्चों को अपने डिसीजन खुद लेने दे
क्या आप अपने बच्चों को उनके डिसीजन खुद लेने देते हैं, या अपनी मर्जी हमेशा उनके ऊपर थोपते हैं?
यकीनन ज्यादातर parents अपने बच्चों से अपने मन की बात मनवाना चाहते हैं, और इसके लिए वो जोर जबरदस्ती करने से भी नही चूकते, तो गलती यहीं से शुरू होती है।
आपने देखा होगा, आप जब restaurant में जाते हैं, तब waiter आपके सामने कुछ dishes का नाम लेता है, और आप उन्हीं में से कोई एक या दो dishes उसे बता देते हैं, और आपको लगता है कि वो आपने choose की हैं, लेकिन असल में आपने उस waiter की बात मानी, पता है कैसे? Waiter ने आपको उन्हीं dishes के नाम बताये, जो उस time available थी, या जल्दी बन सकती थी, दरअसल, वो waiter तो अपना decision पहले ही ले चुका, आपने उसकी बात मान भी ली और आपको पता भी नही चला,
तो क्यों न ये trick अपने बच्चों पर आजमाए? अगली बार अपने बच्चों को ये ना कहें, कि बेटा पढ़ लो, बल्कि कहियेगा कि बेटा आज English पढ़ोगे या science..बच्चे अपने decision लेकर आपकी बात मानेंगे।
जिद और जरूरत में फर्क समझे
दोस्तों! दरअसल होता क्या है, कि हम अपने बच्चों को हर बात में मना करना शुरू कर देते हैं, या फिर कुछ parents अपने बच्चों की हर बात को मानने लग जाते हैं, अगर आप भी ऐसा करते हो, तो बस गलती यही है।
अपने बच्चों की जिद और जरूरत में फर्क समझे, अगर आप अपने बच्चों को हर चीज के लिए मना करते हैं, तो बच्चे मजबूरन अपनी बात मनवाने के लिए विद्रोह करने लग जाते हैं, और अपनी जरूरतों को भी जिद बना लेते हैं, बच्चों की जरूरत को उनकी जिद ना बनने दें।
बच्चों के अलादीन के चिराग ना बने
आप जानते हैं, Bill gates ने अपनी बेशुमार दौलत का सिर्फ 10 प्रतिशत अपने बच्चों को देने का फैसला किया है, क्योंकि उनका मानना है, कि अगर उनके बच्चों को बिना मेहनत के इतना पैसा मिल गया, तो वो पैसे की कद्र कभी नही करेंगे,
इसीलिए अपने बच्चों को हर एक चीज की value समझाए, क्योंकि बच्चों को जब सब कुछ बिना मेहनत के मिलने लगेगा, वो न उस चीज की value करेंगे और ना आपकी, अगर आपने अपने बच्चों को एक बार कहने से ही सभी सुविधाये दे दी, तो आपके एक बार मना करते ही बच्चों को आपसे विद्रोह करने में देरी नही लगेगी।
मल्टी डायरेक्शन पेरेंटिंग से बचें
एक पिता अपने बच्चों की सभी उन सभी जरूरतों को पूरा करना चाहता है, जो वह खुद के लिए नहीं कर पाए, और एक मां अपने बच्चों को Discipline में रखना चाहती हैं, तो एक ही बच्चे को आप दो अलग अलग atmosphere में नही रख सकते।
इससे कहीं ना कहीं बच्चे यह समझ जाते हैं, कि उन्हें कब कौन सी बात किससे मनवानी है, अगर उसे ice-cream खानी होगी तो वो पापा से कहेगा और picnic पर जाना होगा तो मम्मी से,
यह ठीक वैसा ही है जैसा
आपको अगर धन चाहिए तो आप लक्ष्मी जी की पूजा करेंगे, और आपको विद्या चाहिए तो आप सरस्वती जी की पूजा करेंगे।
मल्टी डायरेक्शन पेरेंटिंग की बजाय आप दोनों बच्चों के पेरेंट्स आपस में कन्वर्सेशन करके एक डिसीजन पर सहमत रहिये, ताकि बच्चा अपने घर में ही politics ना शुरू कर दे।
बात वही, कोशिशे नई
अपनी बात बच्चों से मनवाने के लिए, बच्चों को कहानियां सुनाएं। एक बात बताइए जब हमें कोई भी चीज याद नहीं होती, तब हम क्या करते थे उन्हें गाना गाकर याद करते थे, या फिर किसी किस्से या कहानी को उससे जोड़कर उस बात को याद कर लेते थे, तो क्यों ना ये trick बच्चों के साथ फॉलो किए जाएं।
बच्चों को Discipline में रखने का, बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने का सबसे अच्छा तरीका है बच्चों को कहानी सुनाएं, और अपनी बातें उनसे कहानी से जोड़कर मनवाये |
Albert Einstein ने भी कहा है, अगर अपने बच्चों को intelligent बनाना है, तो उन्हें कहानी सुनाएं, तो आप भी अपने बच्चों को successful लोगों की stories सुनाएं, moral stories सुनाएं, जैसे पंचतंत्र, तेनाली रमन, अकबर- बीरबल।
ना को ना कहना बंद कीजिये
हर बार ना कहना बंद करें, ये human psychology होती है, कि आपसे जिस काम के लिए मना किया जाएगा, आप जानबूझकर वही काम करेंगे,
अगर आप अपने बच्चों से कहेंगे, कि आपको यह बॉक्स नहीं खोलना है, तो आपके बच्चों के mind में आपका वो NO opposite pole में यानि की yes में strongly reaction करेगा, और उसी काम को करने की curiosity बढ़ जायेगी, और आपके बच्चे इस बात को ठान लेंगे कि हमें यह खोलकर देखना है, कि parents आखिर क्यों मना कर रहे हैं,
तो उस “ना “की जगह बच्चों को मना करने का दूसरे तरीका सीखे। जैसे कि अगर आप अपने बच्चों से कहते हैं, कि तुम साइकिल जोर से मत चलाओ बच्चा और तेज चलाने लगेगा, वहीं आप बच्चे से कहिये, कि बचपन में मैंने ऐसे ही अपनी मम्मा की बात नही मानी, और मैं बहुत जोर से गिरा और चोट लगी, इस बात का असर बच्चे पर जरूर पड़ेगा।
आप जैसा करेंगे, बच्चे भी वैसा ही करेंगे क्योंकि आपके बच्चे आपकी ही xerox हैं
दोस्तों! बच्चे जो दादा-दादी या फिर अपने घर के बड़े लोगों के साथ रहते हैं, तो उनमें moral values खुद से आ जाती है |
मत भूलिए बच्चे आपकी ही कॉपी हैं, तो अगर आप अपने बड़ों की बात मानते हैं तो आपके बच्चे भी आप आपकी बात मानेंगे।
आप अपने बड़ों की respect करेंगे, तो आपके बच्चे भी आपकी कद्र करेंगे।
अगर बच्चों से अपनी बातें मनमानी है, तो उसको पहले आपको खुद फॉलो करना होगा अगर आप फोन चलाते हैं, तो आप अपने बच्चों से फोन चलाने के लिए मना नहीं कर सकते, अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा फोन ना चलाये, तो आपको उसके लिए पहले आपको फोन को साइड में रखना होगा।
बच्चों को पर चीखना चिल्लाना या हाथ उठाना बंद करें, और दोस्ती का हाथ बढ़ाएं
अगर आप अपने बच्चों की एक बार पिटाई लगाएंगे, दो बार पिटाई लगाएंगे, तो आपके बच्चे बेशर्म हो जाएंगे
उसके बाद आप उन्हें कितनी भी पिटाई लगा लीजिए, उन पर कोई असर नहीं होगा,
तो इसका विपरीत आप बच्चों को शांति से समझाएं, और उन्हें बताएं कि अगर आप यह गलत काम करोगे तो इसके यह गलत रिजल्ट सामने आएंगे।
चीखने चिल्लाने से आप बच्चों की नज़र में अपनी value खो देते हैं,
और आपके बच्चे ये mindset कर लेते हैं, कि आपकी तो आदत ही चीखने चिल्लाने की है।
इसके अलावा अपने बच्चों के माँ बाप बनने से पहले उनके दोस्त बने, वो आपकी हर बात न सिर्फ सुनेंगे बल्कि मानेंगे भी।
तो दोस्तों! आज के आर्टिकल में हमने साझा किये कुछ tips, जिनकी मदद से आप अपने बच्चों से अपनी बातें मनवा सकते हैं, तो ये पोस्ट आपको कैसा लगा comment करके बताइयेगा और share भी कीजियेगा।।
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Balmukund loves his children and is the father of two lovely teenagers, aged 15 and 13. In this blog, he provides parenting advice. He hopes that his parenting tips will assist other parents in preparing their children for a bright future.