बच्चों को अनुशासन सिखाएं |
और जब बात बच्चों की आती है, तो अनुशासन को उनकी परवरिश के साथ जोड़कर देखा जाता है, अगर बच्चे डिसिप्लिन में रहते हैं, तो इसका पूरा श्रेय उनके माता-पिता को दिया जाता है,
वहीं अगर बच्चों में अनुशासन नहीं होता, वो बदतमीज़ी करते हैं, नियम नही मानते, तो इसके जिम्मेदार भी माता-पिता को ही ठहराया जाता है,
तो हर माता-पिता बचपन से यही कोशिश करते हैं, कि उनके बच्चों को एक अच्छा व्यवहार और उचित अनुशासन सिखाया जाए, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे??
अक्सर बच्चे बड़े होने के साथ-साथ अपनी moral values भूलते जाते हैं, और ये शुरुआत होती है बच्चों के 3 साल का होने से,
क्योंकि कच्ची मिट्टी को अपने आकार में ढालना आसान है, वहीं अगर मिट्टी पक गयी, फिर हम कुछ नही कर सकते, तो जरूरी है कि इसी शुरुआती उम्र से ही बच्चों के अंदर अच्छे गुण और अनुशासन का विकास किया जाए,
क्योंकि आज के दौर में हर माता-पिता यह चाहते हैं, कि वह अपने बच्चों को वो सब कुछ दे, जो वह मांगता है, या फिर उसके लिए जरूरी है, लेकिन अक्सर हम जिद और जरूरत में फर्क करना भूल जाते हैं।
तो दोस्तों बच्चों की पहला पाठशाला उनका घर होता है, लेकिन जैसे ही बच्चे घर के माहौल से बाहर निकलते हैं, आसपास की बातों का असर उनपर साफ दिखाई देता है, अगर आपके बच्चे आपकी बातों को नजरअंदाज करते हैं, गुस्सा करते हैं, अपनी गलती दूसरों पर थोपते हैं,
और गलती करने के बाद उसका अहसास तक नहीं करते, तो सतर्क हो जाइए, क्योंकि आपके बच्चों में अनुशासन की कमी हो रही है और उन्हें अनुशासन सिखाने की जरूरत है।
तो इसी सोच के साथ आज के लेख में हम आपके साथ कुछ ऐसी तथ्यों को साझा करेंगे, जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को अनुशासन discipline में रहना सिखा सकते हैं।
1. बच्चों को बड़ों का सम्मान करना सिखाए
बच्चों को पहली शिक्षा घर से ही मिलती है, तो बचपन से ही बच्चों को बड़ों का सम्मान करना सिखाए।
हमारी परंपरा में अपनों से बड़ों के पैर छूना और उन्हें नमस्ते करना शामिल है,
अगर आप बच्चों को बचपन से ही यह आदतें सिखाएंगे, तो ये manners बड़े होने के बाद तक खुद ब खुद बच्चों की habit बन जाएंगे।
इसी के साथ बड़ों की बात मानना, उनकी बातें सुनना, और पलट कर जवाब ना देना, जैसी आदतें आपके बच्चों को अनुशासित रखने में पूरा योगदान देती हैं,
तो बचपन से ही बच्चों के मन बड़ों के प्रति आदर और सम्मान के भाव को पनपने दे और इन आदतों के लिए उन्हें बार बार टोके।
2. पहली पहल खुद से करें
दोस्तों हमारे बच्चे वो कभी नहीं करेंगे, जो हम उनसे करने के लिए कहेंगे, बल्कि बच्चे वो करते हैं जो वो देखते हैं,
तो अगर बच्चों को अनुशासन में रखना चाहते हैं, तो इसकी पहल खुद से करें। अगर आप खुद से अनुशासित रहेंगे, तो आप अपने बच्चों में यह आदत आसानी से ढाल पाएंगे।
समय पर उठिए, सोने का समय नियमित रखिए, अपनी चीजों को उनकी सही जगह पर रखने की आदत डालिए, और दूसरों के प्रति अपने व्यवहार को अनुशासित रखिए, बच्चों के सामने लड़ने झगड़ने और बहस करने से बाचिये,
क्योंकि जब आपके बच्चे आपको ऐसा करता हुआ देखेंगे, तो वह भी आप की देखा देखी वैसा ही करेंगे, तो खुद का अनुशासित रहना सबसे जरूरी है, और यह बहुत मुश्किल भी नहीं है,
इससे आपकी जीवनशैली तो नियमित रहेगी, आपके बच्चे भी अनुशासन बचपन से ही सीखेंगे।
3. बच्चों की गलती पर एकमत रहे
आजकल परिवारों में यह देखने को मिलता है, कि या तो बच्चों के दादा-दादी या फिर बच्चों के माता-पिता उन्हें हद से ज्यादा प्यार करते हैं, अगर बच्चे कोई गलती करते हैं,
और उस पर उनके दादा-दादी उन्हें डांटते हैं, तो उनके माता-पिता उनका बीच-बचाव करने खड़े हो जाते हैं, और वही अगर उनके माता-पिता किसी गलती के लिए डांटे, तो उनके दादा-दादी बच्चों के लिए आगे आ जाते हैं, तो अगर बच्चों को अनुशासन से सीखाना है,
तो परिवार को एकमत होना सबसे जरूरी है, क्योंकि अगर आप बच्चों की तरफदारी करेंगे, तो बच्चे शय में आ जाते हैं, और फिर वही गलतियां बार-बार दोहराते हैं।
4. बच्चों को ना कहने की आदत डालिए
आजकल के माता-पिता बच्चों को वो सब देना चाहते हैं, जो उन्हें नहीं मिल पाया, और इसी के चलते वह अपने बच्चों की हर जरूरत को पूरा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, और
जिद और जरूरत का फर्क भूल जाते हैं।
अगर आपने बच्चों को 10 बार किसी भी चीज के लिए मना नहीं किया, तो अगर 11वीं बार वो कोई चीज आपसे मांगेंगे, और आप मना करेंगे तो बच्चे आक्रमक हो जाएंगे, वह चीखेंगे, चिल्लाएंगे और गुस्सा करेंगे, तो अगर आप इन सब से बचना चाहते हैं तो
बच्चों की हर जिद को उनकी जरूरत ना समझे, और उसे पूरा करने के लिए तैयार ना रहे।
5. मारने पीटने और गुस्सा करने से नहीं बनेगी बात
कई डॉक्टर की रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट रूप से साबित हुई है, कि जिन बच्चों को बचपन में डराया, धमकाया और मारा-पीटा जाता है, बड़े होकर यह बच्चे बहुत ज्यादा आक्रमक हो जाते हैं, और ऐसे बच्चों को मानसिक तनाव जैसी बीमारी भी रहती है,
तो अगर आप अपने बच्चों को कोई बात समझाना चाहते हैं, तो मारने पीटने और गुस्सा करने से बेहतर है, कि उनसे प्यार और शांति से बात की जाए।
अगर आपके बच्चे आपकी बात नहीं सुनना चाहते, तो आप उनसे बात करना बंद कर दीजिए, जब बच्चों को एहसास होगा, कि आप उनसे नाराज हैं तो बच्चे खुद-ब-खुद अपनी गलती को महसूस करेंगे, और अगली बार ऐसा होने से बचने के लिए अनुशासन में रहना सीखेंगे।
6. छोटे-छोटे काम कराना सिखाएं
बचपन से ही बच्चों को जो कुछ सिखाया जाता है, वह उनकी आदत बन जाता है,
तो बच्चों को छोटे-छोटे काम करने की आदत डालिए, जैसे कि अपने खिलौने खुद से समेट कर रखो, अपने कॉपी किताब का ख्याल खुद रखो, पौधों में पानी देना सिखाएं, अपना खाना खुद serve करें, और अपने झूठे बर्तनों को sink में रखें, नहाने के बाद बाथरूम गीला ना छोड़े, और जो भी सामान जहां से उठाया है, उसे वहीं वापस रखें, दादा-दादी की मदद करना सिखाए और साथ ही खुद की साफ-सफाई का भी ख्याल रखने को कहें,
जैसे कि समय पर सोना, रोजाना ब्रश करना और खुद के कपड़े और किताबों को उनकी सही जगह पर रखना, ऐसा करने से बच्चों के अंदर यही आदतें बड़े होने तक बनी रहेंगी, और आपका बच्चा अनुशासन में रहेगा।
7. Magic words का मतलब सिखाएं
बच्चों को बचपन से ही आदत डाले, कि कभी भी किसी के सामान को उनसे बिना पूछे ना ले, और magic words का सही इस्तेमाल करे। जैसे अगर किसी ने आपको कुछ दिया है, तो लेने से पहले माता पिता की permission ले, और देने वाले को thank you कहे, अपनी गलती पर उसे स्वीकार करे और sorry कहे, इसी के साथ अपने शब्द और लहजे का भी ध्यान रखे।
तो दोस्तों कोई भी बच्चा मां के गर्भ से सीख कर नहीं आता है, हर कोई इस दुनिया में आकर ही सीखता है, और हर रोज कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है,
साथ ही उम्मीद करते हैं, कि आज का यह लेख आपके लिए उपयोगी रहेगा। आपको यह लेख कैसा लगा हमें अपनी प्रतिक्रिया कमेंट करके साझा करें, और हो सके तो आप हमारे पोस्ट को शेयर भी कर सकते हैं।।
Rohit is a blogger and a father of two adorable children, aged six and one. He enjoys spending time with his kids. In this blog, he discusses his parenting experiences. His hope is that his parenting tips will help other parents in developing strong bonds with their children